For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“ मैंने यह सब कुछ अपनी मजबूरी में किया है, जज साहब. मृतक मेरा सगा भाई ही था, उसने मेरा जीना हराम कर दिया था. धोखे से मेरी जमीन हड़प ली और मैं अपने पत्नी और बच्चों के साथ सड़क पर आ गया था. भूखों मरने की नौबत आ गई थी, साहब..” उसने अपने भाई की हत्या का गुनाह कुबूल करते हुए अदालत में अपना बयान दिया

“ लेकिन, पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार तुमने अपने भाई को सुबह ५ बजे ही खेत पर, गला घोंटकर मार डाला फिर तुम दोपहर में उस लाश को खीचकर कहा ले जा रहे थे..” सरकारी वकील ने कटघरे में खड़े, अपराधी से पूछा

“ साहब!! मैंने उसे सुबह मौका देखकर मार तो डाला और भाग निकला. पर मुझे बाद में बहुत दुःख हुआ. दोपहर में धूप बहुत तेज थी, सोचा जैसा भी था, मेरा भाई ही था. मैं उसे छाँव में घसीट कर ले जारहा था, तभी गाँव वालों ने मुझे...”

 

   जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by aman kumar on May 15, 2015 at 10:55am

सुंदर कथा !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 15, 2015 at 2:18am

मार्मिक लघुकथा 

गज़ब का प्लॉट लिया है आपने आदरणीय जितेन्द्र जी 

अपने आप में अनूठी कथानक वाली सफल और मार्मिक लघुकथा 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2015 at 11:59pm

आदरणीय विनय जी. आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2015 at 11:58pm

आदरणीया सविता जी. आपका बहुत-बहुत आभार
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2015 at 11:57pm

आदरणीय मनोज जी. आपका हार्दिक आभार
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2015 at 11:56pm

आदरणीया कांता जी. आपकी उपस्थिति व् लघुकथा की सराहना के लिए आपका ह्रदय से आभारी हूँ
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2015 at 11:54pm

आदरणीय सुधीर जी, लघुकथा की सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभार
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2015 at 11:53pm

आदरणीय डा.विजय जी , आपका आशीर्वाद पाकर,रचना धन्य हुई. लघुकथा पर आपकी गहन प्रतिक्रिया हेतु ह्रदय से आभारी हूँ
सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 14, 2015 at 11:52pm

आदरणीय शुभ्रांशु जी. आपकी उपस्थिति लघुकथा को सार्थकता और लेखनकर्म को दोगुना मनोबल दे गई. आपका ह्रदय से आभारी हूँ
सादर!

Comment by विनय कुमार on May 14, 2015 at 11:30pm

बहुत मार्मिक , प्रभावशाली और बेहतरीन लघुकथा | मानव स्वभाव को समझना आसान कहाँ है , बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)

1222 1222 122-------------------------------जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी मेंवो फ़्यूचर खोजता है लॉटरी…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सच-झूठ

दोहे सप्तक . . . . . सच-झूठअभिव्यक्ति सच की लगे, जैसे नंगा तार ।सफल वही जो झूठ का, करता है व्यापार…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

बालगीत : मिथिलेश वामनकर

बुआ का रिबनबुआ बांधे रिबन गुलाबीलगता वही अकल की चाबीरिबन बुआ ने बांधी कालीकरती बालों की रखवालीरिबन…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत बढ़िया दोहावली। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर रिश्तों के प्रसून…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. यहाँ नियमित उत्सव…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, व्यंजनाएँ अक्सर काम कर जाती हैं. आपकी सराहना से प्रस्तुति सार्थक…"
Sunday
Hariom Shrivastava replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सूक्ष्म व विशद समीक्षा से प्रयास सार्थक हुआ आदरणीय सौरभ सर जी। मेरी प्रस्तुति को आपने जो मान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी सम्मति, सहमति का हार्दिक आभार, आदरणीय मिथिलेश भाई... "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"अनुमोदन हेतु हार्दिक आभार सर।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति, स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत आभार।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ सर, आपकी टिप्पणियां हम अन्य अभ्यासियों के लिए भी लाभकारी सिद्ध होती रही है। इस…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार सर।"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service