11.
दोस्ती मेरी सदा निभाए
न्यारी न्यारी बात बताए
बताए हरदम सही जवाब
क्या सखि साजन ? ना सखि किताब
12.
तुझ बिन जगत यह कड़की धूप
तेरे संग खिलता है रूप
कैसा तूने किया करिश्मा
क्या सखि साजन ? ना सखि चश्मा
13.
ज्यों चलूँ वो साथ ही हो ले
अंग संग खाए हिचकोले
मधुर सुरों से ह्रदय छले छलिया
क्या सखि साजन ? ना पायलिया
14.
उलझे मेरे लट सुलझाता
न बोलूँ तो खीझ है जाता
रूप दिखाता रंग बिरंगा
क्या सखि साजन? ना सखि कंघा
15.
हर पल मेरा साथ निभाए
मेरे सारे राज छुपाए
उसके बिन मैं रहूँ अकेली
क्या सखि साजन? नहीं सहेली
16.
रैन हुई वो झट से आए
भोर हुई घर वापिस जाए
रूप लगे है उसका प्यारा
क्या सखि साजन ? ना सखि तारा
17.
चलती राह ले आँचल थाम
मेरी ना सुनता हाय राम
प्यार दिखाए न कभी डांटा
क्या सखि साजन? ना सखि कांटा
18.
रहूँ कहीं मैं साथ न छोड़े
पथ के सभी हटाये रोड़े
प्रीत है गहरी नहीं हिसाब
क्या सखि साजन ? नहीं किताब
Comment
इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाइयाँ आदरणीया. अच्छी कह-मुकरियों ने प्रभावित किया है.
सतत प्रयास आपके रचनाकर्म को और सुगठित करेगा.
मधुर सुरों से ह्रदय छले छलिया
इस पद में हृदय के जगह मन या उर किया जाय तो प्रवाह संयत बना रहता है. कृपया देखियेगा.
सादर
बहुत अच्छी मुकरियाँ कही हैं सरिता जी, हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये
आदरणीय श्याम जी शुक्रिया
आदरणीय गिरिराज जी बहुत आभारी हूँ आपकी आपने हमेशा मार्गदर्शन किया है
इस पंक्ति को ऐसे पढ़ें
मधुर सुर से मन छले छलिया
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ...................... |
आदरणीया सरिता जी , कह्मुकरियों की शान्दार रचना हुई , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥
मधुर सुरों से ह्रदय छले छलिया - इस पंक्ति मी मात्रा 18 मात्रायें हो रही हैं , मेरे खयाल से 16 मात्रायें रहनी चाहिये ॥
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