6.
जीवन मेरा रोशन करता
सूरज जैसे तम को हरता
उस बिन धड़के मेरा जिया
क्या सखि साजन ? ना सखि दीया
7.
चले संग वो धड़कन जैसे
उस बिन कटे बताऊँ कैसे
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी
8.
पलकें मीचूं सपने लाता
कोमलता से फिर सहलाता
छोड़े ना वो पूरी रतिया
क्या सखि साजन? ना सखि तकिया
9..
नया रूप ले रात को आता
दिन चढ़ते वैरी छुप जाता
छिपता जाने कौनसी मांद
क्या सखि साजन ? ना सखि चाँद
10.
तुम से रूप निखरता दूना
बिन तेरे लगता है सूना
अखियाँ मीचूं रूठे पागल
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल
Comment
कह्मुकारियों पर सुन्दर प्रयास हुआ है आ० सरिता जी
चले संग वो धड़कन जैसे
उस बिन कटे बताऊँ कैसे......................यह पंक्ति कुछ अस्पष्ट सी लग रही है
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी...................शब्द संयोजन में कलों के निर्वहन से गेयता का अटकाव ख़त्म हो सकता है
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी
तुम से रूप निखरता दूना......................यहाँ तुम किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ? कह्मुकरी में साजन का ज़िक्र हमेशा ही थर्ड पर्सन की तरह होता है ...तुम लिख देने से सखी के लिए ये वाक्य कहे जाने का भ्रम हो रहा है , जोकि एक बड़ा दोष है
बिन तेरे लगता है सूना ...........................इसी तरह इस पंक्ति में तेरे शब्द से यही दोष उत्पन्न हो रहा है
अखियाँ मीचूं रूठे पागल
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल
आशा है मैं अपना कहा स्पष्ट रूप से प्रेषित कर पायी
इस प्रयास पर मेरी शुभकामनाएं
आदरणीय आशुतोष जी तह दिल से शुक्रिया आपको कह् मुकरियां पसंद आई
आदरणीया आभार
आदरणीया अन्नपूर्णा जी आभारी हूँ
आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार जी
आदरणीय राम भाई जी हार्दिक आभार आशीर्वाद बनाये रखें
आदरणीय श्याम जी आभार ...सादर
आदरणीय नीरज जी हार्दिक आभार
आदरणीया सरिता जी ..आज तो आपकी सभी कह्मुकरियाँ एक से बढ़कर एक है ..अंत तक की हर पंक्ति सजन का ही भ्रम कराती है और फिर जवाब सुनते ही आनद आ जाता है ...हार्दिक बधाई के साथ सादर
बहुत बहुत सुन्दर
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