For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कह मुकरियाँ [6 से 10]

6.

जीवन मेरा रोशन करता
सूरज जैसे तम को हरता
उस बिन धड़के मेरा जिया
क्या सखि साजन ? ना सखि दीया
7.
चले संग वो धड़कन जैसे
उस बिन कटे बताऊँ कैसे
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी

8.

पलकें मीचूं सपने लाता
कोमलता से फिर सहलाता
छोड़े ना वो पूरी रतिया
क्या सखि साजन? ना सखि तकिया
9..
नया रूप ले रात को आता
दिन चढ़ते वैरी छुप जाता
छिपता जाने कौनसी मांद
क्या सखि साजन ? ना सखि चाँद
10.
तुम से रूप निखरता दूना
बिन तेरे लगता है सूना
अखियाँ मीचूं रूठे पागल
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल

Views: 600

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 4, 2014 at 12:56pm

कह्मुकारियों पर सुन्दर प्रयास हुआ है आ० सरिता जी 

चले संग वो धड़कन जैसे 
उस बिन कटे बताऊँ कैसे......................यह पंक्ति कुछ अस्पष्ट सी लग रही है  
रखे हिसाब हर पल हर कड़ी...................शब्द संयोजन में कलों के निर्वहन से गेयता का अटकाव ख़त्म हो सकता है 
क्या सखि साजन ? नहीं सखि घड़ी

तुम से रूप निखरता दूना......................यहाँ तुम किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ? कह्मुकरी में साजन का ज़िक्र हमेशा ही थर्ड पर्सन की तरह होता है ...तुम लिख देने से सखी के लिए ये वाक्य कहे जाने का भ्रम हो रहा है , जोकि एक बड़ा दोष है 
बिन तेरे लगता है सूना ...........................इसी तरह इस पंक्ति में तेरे शब्द से यही दोष उत्पन्न हो रहा है 
अखियाँ मीचूं रूठे पागल 
क्या सखि साजन ? ना सखि काजल

आशा है मैं अपना कहा स्पष्ट रूप से प्रेषित कर पायी 

इस प्रयास पर मेरी शुभकामनाएं 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:02pm

आदरणीय आशुतोष जी तह दिल से शुक्रिया आपको कह् मुकरियां पसंद आई 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:01pm

आदरणीया आभार 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:01pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी आभारी हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 4:00pm

आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार जी 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:59pm

आदरणीय राम भाई जी हार्दिक आभार आशीर्वाद बनाये रखें 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:58pm

आदरणीय श्याम जी आभार ...सादर 

Comment by Sarita Bhatia on February 25, 2014 at 3:58pm

आदरणीय नीरज जी हार्दिक आभार 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 23, 2014 at 7:43pm

आदरणीया सरिता जी ..आज तो आपकी सभी कह्मुकरियाँ एक से बढ़कर एक है ..अंत तक की हर पंक्ति सजन का ही भ्रम कराती है और फिर जवाब सुनते ही आनद आ जाता है ...हार्दिक बधाई के साथ सादर 

Comment by savitamishra on February 23, 2014 at 7:13pm

बहुत बहुत  सुन्दर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service