प्रथम प्रयास कह मुकरियाँ पर आप सब सुधीजनों के मार्गदर्शन की अभिलाषी हूँ ...
1.
लीला सखिओं संग रचाता
मन का हर कोना महकाता
भागे आगे पीछे दैया
क्यों सखि साजन ? ना कन्हैया
2.
जिसको हमने स्वयं बनाया
मान और सम्मान दिलाया
उसको हमारी ही दरकार
क्यों सखि साजन ? नहीं सरकार
3.
बच्चे बूढ़े सबको भाए
नाच दिखाए खूब हँसाए
सबके दिल का बना विजेता
क्यों सखि साजन ? ना अभिनेता
4.
उसके बिना चैन ना आए
पाकर उसको मन हर्षाए
उसको देख देख मुस्काती
क्यों सखि साजन ? ना सखि पाती
5.
बिगड़ी बातें सभी बनाता
नवजीवन की आस जगाता
करता सारे ह्रदय के काम
क्यों सखि साजन? ना सखि राम
..........................................
.......मौलिक व अप्रकाशित........
Comment
आदरणीय सौरभ sir शुक्र है आप आए तो प्रथम प्रयास में ही जब कोई आकर नहीं बताएगा तो कैसे गल्ती सुधार करेंगे
आपकी हार्दिक आभारी हूँ कृपया जो इसके बाद लिखी गई हैं उनको भी सुधारने का मौका दें
जिसको हमने स्वयं बनाया
मान और सम्मान दिलाया ......... ऐसी कौन-सी सजनी होती है ? या ऐसी कितनी प्रतिशत सजनियाँ होती हैं ?
मुकरियों को तार्किक रखा जाय तो ही इनकी सार्थकता है. प्रयास हेतु हार्दिक बधाई
आदरणीया सरिता जी,सुंदर प्रस्तुति.................सादर
आदरणीय गुरुदेव जी आपके सुझाव अनुसार कुछ और भी परिवर्तन कर दिए हैं ,मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार
आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार स्नेह बनाये रखें
आदरणीया , मनमोहक कह-मुकरियाँ , बधाइयाँ
सखिओं संग लीला रचाता ------इसे "लीला सखियों संग रचाता" कह कर देखिये, प्रवाह स्मूथ लगेगा
हमने जिसे है खुद बनाया--------"जिसको हमने स्वयम् बनाया" , में अच्छा प्रवाह आयेगा
सादर
आदरणीया सरिता जी , कह मुकरियों के प्रभावी प्रयास के लिये आपको बधाइयाँ ॥
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