For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"नाम के मुसलमान" - [लघु कथा- 16]

"फोन करने और 'ईद मुबारक़' कहने की क्या ज़रूरत थी ?" शबाना ने एतराज़ जताते हुए कहा।
" तो तुमने इतने सालों बाद भी मेरी आवाज़ पहचान ली थी ! फिर तुमने अपने शौहर को क्यों दे दिया फोन ?" कुछ नाराज़गी के लहज़े में आफताब ने पूछा।
"ग़ैर मर्दों से यूँ फोन पर बातें करना हमारे यहाँ मना है। आवाज़ क्या, तुम्हारी तो रग-रग से वाकिफ हूँ मैं तो !" लम्बी साँस लेते हुए शबाना ने उसे समझाया- " देखो, गढ़े मुर्दे उखाड़ कर ज़ख़म कुरेदने से कोई फायदा नहीं ! तुम्हारे वालिद साहब ही घर आये थे और उन्होंने बहुत पढ़ी लिखी बहू की मंशा ज़ाहिर की थी।"
"लेकिन....लेकिन शब्बो, मैंने तो ऐसा नहीं कहा तुमसे, मैंने तो तुम्हारी अम्मीजान से सिर्फ ये कहा था कि जब तक मैं अपने पैरों पर खड़ा न हो जाऊँ, शबाना की पढ़ाई जारी रखियेगा।"
"बात सिर्फ इतनी नहीं थी, हम भले बारहवीं पास नहीं कर पाये, लेकिन 'दीनी' और 'इस्लामी' तालीम है हमारे यहाँ, माशा अल्लाह ! ....और ..और तुम्हारे यहाँ तो एक वक़्त की नमाज़ तक के लिए वक़्त नहीं किसी के पास !
ऐसे 'मोडर्न' और 'रईस' होना भी किस काम का।"
"शबाना ! ये तुम कह रही हो ! "
"हाँ, आफताब साहब, अब तो तुम नई मोडर्न ज़िन्दगी ही जी रहे होगे न ? मिल गई न नये ज़माने की बहुत पढ़ी-लिखी बीवी ?"
"ओह, शबाना तुम्हें कैसे बताऊं कि मेरी नई ज़िन्दगी कैसी चल रही है और....और क्यूं ?"
" मैं तो अपने बच्चों और कम पढ़े-लिखेे मगर मज़हबी तालीम याफ्ता शौहर के साथ बेहद सुखी हूँ। जाओ आफताब, तुम अपनी ज़िन्दगी जियो और मुझे मेरी ज़िन्दगी जीने दो। और आईन्दा इस तरह हमारे घर मत आना ! हम ठहरे कट्टर मुसलमान और तुम लोग... तुम लोग तो बस नाम के मुसलमान। दो किनारे कभी नहीं मिलते ।"

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 2:35am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकों को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 13, 2015 at 6:04pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय Sunil Verma जी व आदरणीय Tej Veer Singh जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on October 13, 2015 at 1:23pm

बधाई शेख उस्मानी जी!बेहद खूबसूरत लघुकथा!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
17 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
17 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service