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"प्यारी दुश्मन" -[लघु कथा] (18)

"प्यारी दुश्मन"- (लघु-कथा)

"तुम्हें जब अपने पास नहीं आने देती तो तुम अपनी समधन को क्यों नहीं बुला लेतीं ?"- पड़ोसन ने पार्वती से कहा।

"वो भी करके देख लिया, कह रही थी कि जब
तक दामाद जी खुद फोन करके नहीं बुलायेंगे, नहीं आऊंगी।" पार्वती ने बुरा सा मुँह बनाते हुए कहा- "और बेटा कहता है कि मम्मी तुम्हारे होते हुए सासू माँ को बुलाने की क्या ज़रूरत है।"

पड़ोसन ने समझाते हुए कहा-" न तो तुम्हारी बहू पूरी दवायें ले रही है, न परहेज़ ढंग से कर रही है और न ही तुम्हें अपनी तकलीफ खुल के बताती है....."
बीच में ही टोकते हुये पार्वती ने बताया-" वो बताती है न, सब कुछ बताती है अपनी माँ को, फोन पे वीडियो चैटिंग करके, मुझे कब उसने माँ समझा ?"

"मुझे तो शुरू से ही माटी की बन्नो लग रही थी तुम्हारी बहू ! " अपना माथा पीटते हुये पड़ोसन बोली-" कई बार बेटी की असली दुश्मन उसकी माँ ही होती है !"

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 8, 2017 at 3:01am
मेरी इस ब्लोग-पोस्ट पर समय देने हेतु सभी पाठकों को तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया।

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