सुबह सुहानी आ गई ,लेकर शुभ सौगात |
अधर पर मुस्कान लिए, प्यार बसे दिन रात||
पूरे हों सपने सभी ,रहो न उनसे दूर |
गम का ना हो सामना ,ख़ुशी मिले भरपूर||
तारे सारे छुप गए ,आई प्यारी भोर |
आँगन खुशिओं से भरे ,मनवा नाचे मोर||
सुखद सन्देश जो मिले ,अधर आय मुस्कान|
खुशिओं से हो वास्ता ,मिले हमेशा मान||
पुष्प सी मुस्कान लिए ,रहो हमेशा पास |
होना ना उदास कभी क्योंकि आप हो ख़ास||
रविवार का दिवस अभी ,करलो आज विश्राम|
बाकी कल सब देखना,रह गय हैं जो काम||
रविवार का दिवस गया, छोड़ो अभी विश्राम|
पूरे करलो अब सभी, छूट गए जो काम||
भोर सुहानी दे गई ,खुशिओं का पैगाम |
हर दिन ही लाये ख़ुशी ,करलो ऐसे काम ||
...........मौलिक व अप्रकाशित ...............
Comment
यह दूसरी किश्त
बहुत बढ़िया है आदरेया -
भई भोर भागा भरम, भट भल-मानुष भूप |
हुवे कर्मरत जंतु कुल , पर उल्लू को धूप |
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