सुप्रभात दोहों से मैं, करती हूँ आगाज |
अधर पर मुस्कान लिए,सरिता बोले आज||
नई सवेर ले आए ,रोज सुखद सन्देश |
पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश||
आये कोई विघ्न ना ,सर पर रखना हाथ|
पूरी करना कामना ,हे नाथों के नाथ||
चूम उठाया भोर ने ,ख़ुशी से झूमा दिल|
सुबह संदेश आपका ,गया जैसे ही मिल||
बन जायेंगे आपके, सारे बिगड़े काम |
थके बिन बढते रहना, मन में धारे राम||
सुबह सुहानी ले आई बरसात की फुहार |
हर कामना पूरण हो खुशियाँ मिलें अपार||
..........मौलिक व अप्रकाशित ..........
Comment
आये कोई विघ्न ना ,सर पर रखना हाथ|
पूरी करना कामना ,हे नाथों के नाथ||.................सुन्दर दोहा छंद.
भाव बहुत सुन्दर हैं। इस प्रयास पर मेरी बधाई स्वीकारें!
सादर!
आदरणीय गुरुवर अरुण जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपने मेरे लिए समय निकाला ,मुझे सुधार के लिए कहा
दो जगह तो मुझे पता था गलती है
और गलतियों की तरफ ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक आभार
सौरभ sir आपने ठीक कहा
अब मुझे लगने लगा है कि obo पर मेरा आना सफल हो रहा है ,कृपया निसंकोच गलती निकालें |
आदरणीया सरिता जी, आपकी प्रस्तुति के लए बधाई. लेकिन छंदगत प्रस्तुतियों के पूर्व प्रयुक्त छंद के विधान को न जानना रचनाकर्म में हुए प्रयास और लगे समय दोनों की बरबादी होती है.
आदरणीय अरुण भाई जी ने बेहतर सुझाव दिये हैं. ये सुझाव दोहा छंद के मूल नियमों की ओर इंगित करते हैं. आप उन्हें मानें. आप ओबीओ के भारतीय छंद विधान समूह में दोहा छंद पर उपलब्ध लेख भी देख जायँ. रचनाकर्म में बहुत सहुलियत होगी.
शुभेच्छाएँ
आदरणीया सरिता जी, सुप्रभात पर अच्छे दोहे, बधाई.
बहुत सुन्दर भाव
आदरणीया सरिता भाटिया जी, दोहा छंद पर सुंदर प्रयास हुआ है.बधाई......
कहीं कहीं पर ध्यानाकर्षण चाहूंगा ,यथा....
सुप्रभात दोहों से मैं, करती हूँ आगाज |
अधर पर मुस्कान लिए,सरिता बोले आज||
विषम चरण (दोहों से मैं) के अंत में दीर्घ,लघु,दीर्घ या लघु, लघु लघु या लघु ,दीर्घ आना चाहिए | सामान्यत: अधरों पर मुस्कान कहा जाता है .यदि अधरों पर मुस्कान धर कहा जाये तो कैसा रहेगा ?
नई सवेर ले आए ,रोज सुखद सन्देश |
पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश||
उपरोक्तानुसार विषम चरण के अंत में "ले आए" पर गौर करें,
चूम उठाया भोर ने ,ख़ुशी से झूमा दिल|
सुबह संदेश आपका ,गया जैसे ही मिल||
सम चरण के अंत में "दीर्घ, लघु" अनिवार्य होता है. दिल व मिल में लघु ,लघु आ रहा है.
बन जायेंगे आपके, सारे बिगड़े काम |
थके बिन बढते रहना, मन में धारे राम||
थके बिन बढते रहना में प्रवाह को देख लीजिए. बिना थके बढ़ते रहें भी किया जा सकता है ?
सुबह सुहानी ले आई बरसात की फुहार |
हर कामना पूरण हो खुशियाँ मिलें अपार||
सुबह सुहानी ले आई में एक तो 14 मात्रायें हैं .दूसरा विषम चरण के अंत में दीर्घ, दीर्घ आ रहा है, बरसात की फुहार में प्रवाह बाधित हो रहा है. हर कामना पूरण हो में भी प्रवाह में रुकावट लग रही है, कृपया देख लें. इन्हीं भावों को क्या ऐसे भी व्यक्त किया जा सकता है ?
सुबह सुहानी आ गई, लेकर मस्त फुहार
पूरी हो हर कामना,खुशियाँ मिलें हजार.
आदरणीया सरिता जी .....
नई सवेर ले आए ,रोज सुखद सन्देश |
पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश| .................. |बहुत सुन्दर दोहे ............शुभकामनाये
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