बरखा छम छम आ गई ,लेकर सुखद फुहार
सावन के झूले पड़े ,कोयल करे पुकार
कोयल करे पुकार ,सबहीं का चित चुराए
मीठे मीठे आम ,सभी के मन को भाए
सखि न झूला सोहै ,ना ही चलत है चरखा
आय न सजन हमार,ना भाए रूत बरखा
........मौलिक व अप्रकाशित..........
Comment
कुंडलिया छंद प्रस्तुत करने के प्रयास के लिए हार्दिक बधाई आद. सरिता भाटिया जी
सौरभ जी कृपया इसे सुधार दें
सखि न सोहे झूले , चले ना जीवन चरखा
सजन अभी न आए, आ गई है रुत बरखा
Saurabh Pandey आदरणीय सौरभ जी हार्दिक आभार आपने मेरी गलती बताई
दोहे में तो सुधार कर चुकी हूँ
यहाँ शब्द संजोजन तथा शिल्प को कृपया अच्छे से समझा दें
हार्दिक धन्यवाद
सभी का हार्दिक स्वागत है ,धन्यववाद सहित
सादर
आदरणीया आपके प्रथम प्रयास के प्रति मेरी असीम सुकामनाएँ..
बरखा के साथ चरखा का तुक मात्र तुक प्रतीत हुई है. ऐसी तुकें कहन के साथ सामंजस्य नहीं बैठा पातीं.
आय न सजन हमार,ना भाए रूत बरखा .. यह पद शब्द-संयोजन तथा शिल्प दोनों से कमतर है.
लेकिन आपके प्रथम प्रयास को देखते हुए आपका छंद-प्रयास बहुत सधा हुआ प्रतीत हुआ.
शुभम्
आदरणीया सरिता जी:
अच्छे भाव पिरोय हैं।
बधाई।
सादर,
विजय निकोर
वाह आदरणीया सरिता जी बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है आपने ///
वाह सरिता जी .. बहुत ही उत्तम लगा आपका यह प्रथम प्रयास ...
Achchi Prastuti hai, badhayee
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online