For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम पत्र - लघुकथा -

प्रेम पत्र - लघुकथा -

आज वीरेंद्र पिता की मृत्योपरांत तेरहवीं  की औपचारिकतायें संपन्न करने के पश्चात पिताजी के कमरे की अलमारी से पिता के पुराने दस्तावेज निकाल कर कुछ काम के कागजात छाँट रहा था।

तभी उसकी नज़र एक गुलाबी कपड़े की पोटली पर पड़ी।उसने उत्सुकता वश उसे खोल लिया।वह अचंभित हो गया।वह जिस पिता को एक आदर्श और सदाचारी पिता समझता था उनकी चरित्र हीनता का एक दूसरा ही चेहरा आज उसके सामने था।उस पोटली में पिता के नाम लिखे प्रेम पत्र और एक सुंदर सी महिला के साथ तस्वीरें थीं।

वीरेंद्र के चेहरे पर पिता के प्रति  क्रोध और घृणा के भाव तेजी से उभर रहे थे।

उसी वक्त वीरेंद्र की माँ ने कक्ष में प्रवेश किया।वीरेंद्र ने पहले तो उस पोटली को छिपाने की असफल कोशिश की लेकिन जब उसे लगा कि माँ ने सबकुछ देख लिया है तो अब सब कुछ उजागर कर देना ही ठीक है।

"माँ,बापू ने हम लोगों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया।खासतौर पर तुम्हारे साथ।"

"कैसी ऊलजलूल बात कर रहे हो वीरेंद्र।आज के समय में तुम्हारे पिता जैसा निष्ठावन और कर्तव्य परायण व्यक्ति मिलना मुश्किल ही नहीं असंभव है।"

"आज से पहले मेरी भी सोच यही थी माँ लेकिन आज उनका एक घिनौना रूप मुझे देखने को मिला है।"

"कुछ तो शर्म करो वीरेंद्र।अपने स्वर्गवासी पिता के लिये ये कैसी भाषा प्रयोग कर रहे हो?"

"यह देखो माँ।यह है बापू का असली चेहरा।उनके जीवन में कोई और भी स्त्री थी।"

"यह सच है। लेकिन यह हमारी शादी से पूर्व का सच है।"

"क्या मतलब है आपका माँ?"

"वीरेंद्र, तुम्हारे पिता ने मुझसे कभी कुछ नहीं छिपाया।वह किसी से प्रेम करते थे लेकिन उन्होंने मुझसे  शादी अपने परिवार के दबाव में की थी।उन्होंने यह खत और फोटो शादी की पहली ही  रात  मुझे दे दिये थे और कहा था कि इन्हें जला देना। मेरे जीवन से यह प्रसंग समाप्त। और वे उस पर कायम भी रहे।"

"पर आपने जलाये क्यों नहीं माँ?"

"मैं इतना साहस कभी भी एकत्र नहीं कर सकी।"

मौलिक,अप्रकाशित एवम अप्रसारित

Views: 505

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on April 3, 2020 at 5:59pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी

Comment by vijay nikore on February 25, 2020 at 10:40am

लघु कथा अच्छी बनी है। आनन्द आ गया , मित्र तेज वीर सिहं जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 18, 2020 at 1:39pm

हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2020 at 11:18am

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन । अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 17, 2020 at 12:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी। आदाब।

Comment by Samar kabeer on February 16, 2020 at 8:41pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब, बहुत अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service