For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

122×8

मेरे साथ कोई ज़रा मुस्कुरा ले,
कलेजा बहुत भारी होने लगा है।
ये जीवन का रस्ता वहाँ आ गया है,
जहाँ हर किसी को मुझी से गिला है।

वो बचपन के साथी जो खाते थे कसमें,
रहेंगे सदा साथ जीवन डगर में।
कोई अपनी मंजिल पर तन्हा खड़ा है,
कोई जिंदगी के भंवर में फंसा है।

जो पाए हैं तुझको खुदी को मिटा कर,
वो पैगाम ए उल्फत ही देकर गए पर,
तेरा सबसे मिलना वो चेहरे बदल कर,
जमाने में झगड़े का जरिया बना है।

मुलाकात का कोई वादा नहीं है,
मगर मेरी उम्मीद मिट जाए कैसे,
हमें भी यकीनन मिलेंगे कभी वो,
तलबगारों को तो खुदा भी मिला है।

फसाना कहाँ तक सुनाएं जफा का,
यही सोचते हैं तुझे भूल जाएं।
मगर कतरे कतरे में दिल के लहू के,
तुम्हारे सितम का असर घुल चुका है।

करीब आके इक दिन मुझे छू के देखो,
हकीकत का तुमको नज़ारा मिलेगा।
जिसे सब समझते हैं मजबूत इंसां,
वो "अहसास" जख्मों में लिपटा हुआ है।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 382

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on March 5, 2020 at 5:12pm

आदरणीय मुसाफ़िर जी हार्दिक आभार

Comment by मनोज अहसास on March 5, 2020 at 5:11pm

आदरणीय कबीर साहब महत्वपूर्ण इस्लाह के लिए हार्दिक आभार

सुधार के लिए सदैव प्रयासरत रहने का प्रयास करूंगा

आभार

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 4, 2020 at 7:43am

आ. भाई मनोज जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई । आ. भाई समर जी की बातों का संज्ञान लें ...

Comment by Samar kabeer on March 3, 2020 at 3:13pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'कोई अपनी मंजिल पर तन्हा खड़ा है,
कोई जिंदगी के भंवर में फंसा है'

इस मिसरे में 'पर' को "पे" कर लें,मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है ।

तेरा सबसे मिलना वो चेहरे बदल कर,
जमाने में झगड़े का जरिया बना है'

ये मिसरा बह्र से ख़ारिज है,क्योंकि 'जरिया' ग़लत शब्द है,सहीह शब्द है "ज़रीआ"122

'मुलाकात का कोई वादा नहीं है,
मगर मेरी उम्मीद मिट जाए कैसे,
हमें भी यकीनन मिलेंगे कभी वो,
तलबगारों को तो खुदा भी मिला है'

इस शैर में शुतरगुरबा दोष है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service