रक्त वर्ण इन पुष्प गुच्छ से
तुमने जो श्रृंगार किया
तपती गर्म दोपहरी को भी
है तुमने रसधार किया
लू के गर्म थपेड़ों से
बच रहने का उपचार किया
नारंगी और पीत रंग के
भावों से मनुहार किया
पथिकों को विश्राम , पंछियों को
आश्रय , उपहार दिया
जिस धरती से अंकुर फूटा
उसका कर्ज़ उतार दिया
मौलिक एवं अप्रकाशित
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