For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मातृ -महक
 
माँ बहुत स्वार्थी होती है
यह बात मुझे कभी समझ नहीं आती थी कि
मै समझदार जिम्मेदार क्यों नहीं हो पाती थी
सर्वदा सुरक्षित सर्वदा आरक्षित
जब तक माँ रही
 
माँ सचमुच बहुत स्वार्थी होती है
वह कभी नहीं बताती कि
कैसे वह एक अलग सी खुशबू से
पूरे घर को नहला देती थी
पावनता से बहला देती थी
कहाँ से कौन सी धूप बत्ती मँगवा लेती थी
कैसे सब बिगडों से संध्या करवा लेती थी
वह कभी नहीं बताती कि
कैसे वह एक अलग सी खुशबू से
पूरे घर को नहला देती थी
 
माँ बहुत स्वार्थी होती है
वह कभी नहीं बताती कि कैसे
कभी नहीं पूछती पसंद नापसंद
बिन पूछे सबके मन का पकवा देती थी
पलक झपकते हो आती थी ऊपर नीचे
घुटनो को सहलाने वाली माँ
तब इतनी फुर्ती कहाँ से ला पाती थी
 
 अब जब माँ नहीं रही
तो मुझे ही यकीन नहीं आता
मै इतना बदला हुआ किरदार हो गई हूँ
इतनी इतनी स्वत ही समझदार हो गई हूँ
कि अब जब माँ नहीं रही
तो डंके की चोट पर कहती हूँ
कि माँ बहुत स्वार्थी होती है
 
माँ बहुत स्वार्थी होती है
वह कभी नहीं बताती
और मैं भी कहाँ जान पाती
कभी नहीं समझ पायी वो सुर ,वो सुगंध
माँ के साथ की थी या माँ के हाथ की थी
कभी नहीं जान पायी
सारे धूप अगरबत्ती परख परख के देख लिए
कि वो महक,महज़ माँ के होने के एहसास की थी
 
सच है तो बस इतना कि सब मांएं होती है खुशबू
औलाद ही होती है जो समझने मे भूल कर जाती है
बाज़ारों मे खोजती फिरती है सुगंध
वो महक जो महज़ माँ से छलक पाती है
माँ बहुत स्वार्थी होती है
वह कभी यह नहीं बताती है
........................................
"मौलिक व अप्रकाशित" 
..........................................................

Views: 311

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on May 16, 2020 at 12:01am

जनाब समीर साहब

बेहद शुक्रिया  

Comment by Samar kabeer on May 15, 2020 at 7:41pm

मुहतरमा अमिता तिवारी जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service