For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शहर शर्म के चलते

कौन कहता  है कि

मन तभी  उदास होता है

वातावरण में जब उदासी  होती है  

इतिहास  तो चिल्लाता है 

कि वातावरण में  

तब उदासी   होती  है 

जब मन  मे काबा काशी होती है 

 

जब शहर शर्म के चलते

अचानक ही झुक से जाते हैं

पर्वत शिखर के  झरने  

अचानक  ही रुक से जाते है

देहात  की  सौगात 

चूड़ी चँदेरी  सजी हाट

जब वीरान होने लगती हैं

चलती बाट पग डंडी

शिखर  झूलती  झंडी 

जब  सुनसान होने  लगती है 

 

अस्पतालों मे गुब्बारे 

गुलदस्ते   छुहारे 

किलकारी नहीं  भर पाते  है  

स्कूल के बस्ते 

बिक जाते हैं सस्ते 

घरों  मे नहीं लौट पाते हैं 

 

गलियों के नंगे पाँव 

ढूंढते  फिरते  हैं  छांव 

धमाचौकड़ी  नहीं मचा पाते हैं  

जब  शवास  आवास के दाम

बढ़ जाते  हैं इतने  

कि पसीने  की  बदौलत  

चुकाए नहीं  जा   पाते हैं

 

जब  शंख अजान गरज गरज 

धमकाती  सी लगने  लगती है 

कोयल  की कूक  कुंठित 

सुबकुबाती  सी लगने लगती  है 

तब व्याकुल  हो जाता  है  वातावरण 

खोल देता है अपने वातायान

और तब कही जा कर उसे 

उदास उदासी  याद करने लगती है 

 

कौन कहता  है कि

मन तभी  उदास होता है

वातावरण में जब उदासी  होती है  

इतिहास  तो चिल्लाता है 

कि वातावरण में  

तब उदासी   होती  है 

जब मन  मे काबा काशी होती है 
......
मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 413

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by amita tiwari on May 4, 2020 at 8:03am

आ0 मुसाफिर जी 

आपके लगातार उत्साह वर्धन के लिए ह्रदय से आभारी हूँ 

सादर 

अमिता 

Comment by amita tiwari on May 4, 2020 at 8:01am

आदरणीय डा सिंह,सुरेन्द्र नाथ जी 

आपके प्रेरणादायक शब्दों से भावविभोर हूँ 

स्नेह बनाए रखिए 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on May 3, 2020 at 7:27pm

आदरणीया अमिता तिवारी जी इस मार्मिक कविता की हम कितनी भी प्रशंसा करें कम है, मुझे रियली बहुत अच्छी कविता लगी,हार्दिक शुभकामनाएं

Comment by नाथ सोनांचली on May 2, 2020 at 6:48pm

आद0 अमिता तिवारी जी सादर अभिवादन।  बढ़िया सृजन है। तथ्यपरक बातों को आपने बेहतरीन ढंग से अल्फ़ाज़ में बाँधा है। बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2020 at 11:55am

आ. अमिता जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service