नदी जीवन देती है 
नदी पालती है 
नदी सींचती है 
नदी बहना सिखाती है 
नदी सहना सिखाती है 
नदी बदलाव समझाती है 
नदी ठहराव समझाती है 
नदी हंसना सिखाती है 
नदी अंत तक साथ देती है.
 
पहाड़, धरती, प्रकृति भी 
हमें यही सब सिखाते हैं,
लेकिन हम क्या कर रहे हैं?
हम नदी को धीरे धीरे, 
तिल तिल कर मार रहे हैं, 
हम अपना सारा कचरा 
बेदर्दी से इसमें उड़ेल रहे हैं,
हम प्रकृति को बर्बाद कर रहे हैं
हम धरती को बंजर बना रहे हैं 
हम पहाड़ों को जर्जर बना रहे हैं.
 
हम सिर्फ लेना जानते हैं 
हमें देना सीखना है 
इन शांत नदियों से, 
इन अटल पहाड़ों से, 
इस धारिणी धरती से,
इस अनमोल प्रकृति से, 
और जिस दिन हम 
इन्हें देना सीख जाएंगे 
उस दिन हमारी यह दुनिया 
खूबसूरत, बेहद खूबसूरत 
और खुशनुमा बन जायेगी.
मौलिक एवं अप्रकाशित
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