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दर्द है तो दिखने दो, आँख से आँसू बहने दो

किसने रोका है तुमको, जो रोना है तो रो लेने दो

कब तक तुम रोके रखोगे, उन भूली बिसरी यादों को

दिल के कोने मे दबी है जो, न रोको उस चिंगारी को

रोकोगे दिल भर जाएगा, घुट-घुट के दम घुट जाएगा

गुब्बारे सा है दिल अपना, भर गया जो फिर फट जाएगा

अरमानों की कोई गठरी हो, या तेज़ घोर दोपहरी हो

चिंता मे तुम जो ना घिरे, तुम अपने जाल के मकड़ी हो

बस कर खुदको दोष न दे, जो गुम है खुदको होश न दे

क्या पा लेगा अश्क़ों को रख के, बहते है तो बह लेने दो

हर उलझन का हल मिल जाएगा, बरबोला का मुंह सील जाएगा

जो दर्द से तूने यारी की, गैरों का सीना फट जाएगा

कुछ मिल जाएंगे राहों मे, सिमटे अपने ही बाहों मे

उनके भी अपने फसाने है, जो आते नहीं निगाहों मे

जो कहते है की दर्द नहीं, कहने मे कुछ भी हर्ज़ नहीं

जो दूजे का गम ना समझे, उनको चुप रहने मे हर्ज़ नही

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

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Comment

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Comment by AMAN SINHA on October 2, 2021 at 11:10am

@विजय निकोरे साहब, 

धन्यवाद 

Comment by vijay nikore on September 30, 2021 at 12:46pm

रचना अच्छी बनी है, बधाई

Comment by AMAN SINHA on September 28, 2021 at 9:54am

@समर कबीर साहब, 

धन्यवाद 

Comment by Samar kabeer on September 27, 2021 at 3:02pm

जनाब अमन सिन्हा जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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