For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"काहे की हमनी के सभ्य हो गइल बानी"

दिन,प्रतिदिन,
हर एक पल,
आपन सभ्यता अउर संस्कृति में
निखार आ रहल बा,
हमनी के हो गईनी,केतना सभ्य,
कौआ ई गीत गा रहल बा
पहिले बहुत पहिले,
जब हमनी के एतना सभ्य ना रहीं,
त रहे चारों तरफ खुशहाली,
लोगन के मिलजुल के,
विचरण रहे जारी,
जेतना पावत रहनी,
प्रेम से खात रहनी,
दोस्तन के भी खिआवत रहनी,
आ कबो-कबो भूखे सुत जात रहनी।।
आज जब हमनी के सभ्य हो गइल बानी,
बाटे सोहात नाही,
दोसरा के रोटी,
छिन के खा रहल बानी,
अउर अपनों से कहत बानी,
छिन लऽ,दोसरों के रोटी
ना देवे त,नोच लऽ बोटी-बोटी,
काहे की हमनी के सभ्य हो गइल बानी,
बहुत पहिले घर के मालिक,
सबके खिआए,बचे जउन रुखा-सूखा,
ऊ ओके खाए,
आज जब आपन सभ्यता,
आसमान छू रहल बा,
घर के का कही,
देश के मालिक,
हींकभर खात बा,
भंडार सजावत बा,
चैन से सुतत बा,
बेंच देत बा,
देशवासियन के काट के पेट,
काहे की हमनी के सभ्य हो गइल बानी.

Views: 556

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 9:19pm
बहुत खूब .....सभ्यता के वृक्ष के साथ उग आयी खर पतवारों का सटीक विश्लेषण|
Comment by Admin on April 3, 2010 at 3:10pm
राजू भाई रौवा बहुत उम्द्दा रचना लिखले बानी एह खातिर हम सबसे पहीले रौवा के धन्यबाद देहल चाहत बानी, अगर ईहे सभ्यता के परिभाषा बा त हमनी के ऐसन सभ्यता ना चाही जी, असभ्य हो के सभ्यता के दंभ भरल ई कहा के सभ्यता बा ? बहुत बढ़िया राजू जी, ऐसन रचना के आगे भी ईंतजार रही, बहुत बढ़िया जात बानी रौवा लागल रही.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 2, 2010 at 2:51pm
घर के का कही,
देश के मालिक,
हींक भर खात बा,
भंडार सजावत बा,
चैन से सुतत बा,
बेंच देत बा,

बहुत खुब राजू भाई, राउर ई कविता त बहुत लोगन के सभ्य बना दिही, रउआ बिल्कुल सही कहत बानी, हमनी के सभ्य त हो गईल बानी जा पर कही ना कही सभ्यता जरूर पिछे छुट गईल बा, हमनी के सभ्य त हो गईल बानी जा पर कही ना कही इन्सानियत पिछे छुट गईल बा । बहुत ही सुन्दर रचना,
देशवासियन के काट के पेट,
काहे की हमनी के सभ्य हो गइल बानी
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 2, 2010 at 12:56pm
bahut badhiay raju bhai.......aisahi likhat rahi...raua rachna sab zordaar rahat baa....bahut badhiay jaa rahal bani raua aisehi likhat rahi...........
raur agila rachna me intezaar rahi............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"आ. भाई सालिक जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सतरंगी दोहेः विमर्श रत विद्वान हैं, खूंटों बँधे सियार । पाल रहे वो नक्सली, गाँव, शहर लाचार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन। सुंदर सीख देती उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"रामबली गुप्ता जी,शुभ प्रभात। कुण्डलिया छंद का आपका प्रयास कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से सराहनीय…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"बेटी (दोहे)****बेटी को  बेटी  रखो,  करके  इतना पुष्टभीतर पौरुष देखकर, डर जाये…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service