For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लिपस्टिक  
मैं जैसे ही गेट के पास पहुँची पड़ोसन तुरन्त मेरे पास आ मुँह बनाती हुई बोली
" ये किसे काम पर रख लिया है तुमने "
" चाँदनी नाम है ,उस लड़की का क्यूँ  कुछ हुआ क्या ?" मैंने बात आगे बढ़ाई 
" अरे अभी तो कुछ नही हुआ मगर हो सकता है " उसने फिर अजीब मुँह बना कर कहा
" क्या हो सकता है ? मैंने जिज्ञासा जाहिर की
" कैसे सज संवर कर आती है जींस- टॉप , कुर्ती- पलाज़ो, टॉप नॉट, काजल ,लिपस्टिक " अबकी उसकी भाव भंगिमाओं ने मेरे होंठो पे मुस्कान बिखेर दी
" ओह्ह ,तो ये दिक्कत है " मैंने कहा
" ऐसे वैसी मत समझो टाइम नही लगता इन्हें बाई से मालकिन बनने में " वो बहुत चिंतित स्वर में बोली
" पर ये सब तो बहुत कॉमन चीज़े हैं , अपन भी तो पहनते हैं ये सब "  मेरी बात पर वो और भन्नाई
" तो क्या हमसे बराबरी करेगी " वो फिर उबलती हुई बोली
" अब इसमें बराबरी वाली क्या बात हो गई , ये बात तो लड़कियों  में होती ही है वो हमेशा सुंदर दिखना चाहती हैं ,  पता है कल मेरी चार साल की भतीजी आई थी तो उसने मुझसे कह कह कर अपने सारे नेल्स पर पोलिश लगवाया फिर बोली " बुआ लिपतिक लगाओ " मैं बालसुलभता पर आनन्दित हो मुस्कुराते हुए  नन्ही भतीजी का उदाहरण दे समझाने की कोशिश कर रही थी।
" हँस लो अभी बाद में रोना " वो तमकती हुई बोली
" रोएं मेरे दुश्मन , वैसे भी ये उनका अधिकार है वो चाहे जैसे रहे " अब मैं भी तमकी
" हुँह , अब ये उनके अधिकार भी बतायेंगी , मुझे क्या, बाद में मेरी बात याद करेगी " वो बड़बड़ाती हुई अपने घर को चल दी
मैंने हैंडबैग से दो लिपस्टिक निकाल सामने टेबल पर  लिए रख दी चांदनी के लिए
 ये दोनों शेड चांदनी को बहुत पसंद आते थे जब भी मैं लगाती ।
दीपाली ठाकुर
मौलिक , अप्रकाशित
                                       
     

Views: 365

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 1, 2022 at 4:21pm

आ.दीपाली ठाकुर जी, सादर अभिवादन।अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Deepalee Thakur on April 26, 2022 at 5:16pm

जनाब समर कबीर जी नमस्कार ,बहुत आभार।

Comment by Samar kabeer on April 26, 2022 at 4:01pm

मुहतरमा दीपाली ठाकुर जी आदाब, अच्छी लघुकथा लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर  बधाई स्वीकार करे I 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service