क्यों परेशान होता है तू , जिसे जाना है वो जाएगा
हाथ जोड़ कर पैर पकड कर, तू उसको रोक ना पाएगा
वो जाता है तो जाने दे, पर याद न उसकी जाने दे
तू उसको ये अवसर ना दे, वो बाद मे तुझे बहाने दे
जिसको आँसू की क़दर नहीं, ना होने का तेरे असर नहीं
उसे रोक के क्या तू पाएगा, तेरी खातिर जो बेसबर नहीं
तू रोके तो रुक जाएगा, घड़ियाली आँसू बहाएगा
अपनी हर नाकामी का फिर, जिम्मेदार तुझे बताएगा
तू उसके बीन ना जी पाएगा, वो गया तो तू मर जाएगा
उसे भी ये एहसास तो होने दे, तुझे खोकर वो क्या पाएगा
चलते-चलते जब थक जाएगा, खुद का बोझ उठा ना पाएगा
ठंडी छाया की पेड़ कोई, उसे तेरी याद दिलाएगा
जब मन को ना हो तन का साथ, आधी रह जाए सारी बात
तब तुझसे मिलने की चाह, ज़िंदा उसको रख जाएगा
तन मन दोनों से हारा, जीवन से हारा बेचारा
अपने आप से मिलने एक दिन, तेरी चौखट पर आएगा
"मौलिक व अप्रकाशित"
अमन सिन्हा
Comment
आद0 अमन सिन्हा जी सादर अभिवादन।बढ़िया लिखा है आपने। बधाई स्वीकार कीजिये
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