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शब्द - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

दोहे

****

मुख सा सम्मुख और के, रखिए शब्द सँवार
सुन्दर  शब्दों  के  बिना, कहते  लोग  गँवार।१।
*
युद्ध शब्द  से  जन्मते, और  शब्द से शान्ति
महिमा अद्भुत शब्द की, जिससे होती क्रांति।२।
*
कोई शब्दों में भरे, अद्भुत सहज मिठास I
कोई रीता रख उन्हें, देता अनबुझ प्यास।३।
*
कोई सज्जन कह  गया, बात  बड़ी गम्भीर।
जीवन घायल मत करो, शब्दों को कर तीर।४।
*
कोई छाया दे  सदा, कर शब्दों को पेड़।
कोई शब्दों से यहाँ , बखिया देत उधेड़।५।
*
जो रहते नित युद्ध में, बन शब्दों के वीर।
वो शब्दों को  मौन दे, होते बहुत अधीर।६।
*
करें अनाड़ी लोग  ही , उलटा सीधा मेल।
कुशल शब्द से खेलते, नट के जैसा खेल।७।
*
रत्ती माशा शब्द को, कुछ जन देते तौल।
कोई बिखरा शब्द को , रचे बुरा माहौल।८।
*
केवल मन छलनी करें, छूँते  नहीं कपाल।
पत्थरों सा जो शब्द को, देते लोग उछाल।९।
*
अनुशासन  हर  शब्द में, रखते  हैं जो लोग
उनकी होती कामना, सबको सुख का भोग।१०।
*
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

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