दोहे
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मुख सा सम्मुख और के, रखिए शब्द सँवार
सुन्दर शब्दों के बिना, कहते लोग गँवार।१।
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युद्ध शब्द से जन्मते, और शब्द से शान्ति
महिमा अद्भुत शब्द की, जिससे होती क्रांति।२।
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कोई शब्दों में भरे, अद्भुत सहज मिठास I
कोई रीता रख उन्हें, देता अनबुझ प्यास।३।
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कोई सज्जन कह गया, बात बड़ी गम्भीर।
जीवन घायल मत करो, शब्दों को कर तीर।४।
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कोई छाया दे सदा, कर शब्दों को पेड़।
कोई शब्दों से यहाँ , बखिया देत उधेड़।५।
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जो रहते नित युद्ध में, बन शब्दों के वीर।
वो शब्दों को मौन दे, होते बहुत अधीर।६।
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करें अनाड़ी लोग ही , उलटा सीधा मेल।
कुशल शब्द से खेलते, नट के जैसा खेल।७।
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रत्ती माशा शब्द को, कुछ जन देते तौल।
कोई बिखरा शब्द को , रचे बुरा माहौल।८।
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केवल मन छलनी करें, छूँते नहीं कपाल।
पत्थरों सा जो शब्द को, देते लोग उछाल।९।
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अनुशासन हर शब्द में, रखते हैं जो लोग
उनकी होती कामना, सबको सुख का भोग।१०।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
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