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बोलो न आप हो गयी शमशान जिन्दगी
दुख से उबर के ओढ़ेगी मुस्कान जिन्दगी।१।
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करते हो मुझ से प्रश्न तो उत्तर यही मेरा
होती है यार मौत का अवसान जिन्दगी।२।
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कहते हैं सन्त मीन सी दानों को देखकर
माया के जाल फसती है नादान जिन्दगी।३।
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आचल में मौत सासों को लेते न चूकती
भटकी कहीं जो भूल से यूँ ध्यान जिन्दगी।४।
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जैसे विचार वैसी ही जग में बनाती है
सच है सभी की आज भी पहचान जिन्दगी।५।
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करता रहा है प्यार बहुत उस को वो सदा
चाहे न दे गरीब को मुस्कान जिन्दगी।६।
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उस को रईस होने में दौलत न काम दे
रिश्ते भी कर न पाये जो धनवान जिन्दगी।७।
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बेकार शिक्षा मान लो इस से भली अपढ
पढ़ के भी हो न पाये जो गुणवान जिन्दगी।८।
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गौतम से बुद्ध होने का पथ पा नहीं सकी
कारण से दुख के आज भी अनजान जिन्दगी।९।
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होता अगर ये सत्य जो मिलती ही क्यों भला
कहते मिलन को ब्रह्म से व्यवधान जिन्दगी।१०।
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मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
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