For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अहसास की ग़ज़ल:मनोज अहसास

2122    2122     2122     212

पीर को,अनुराग को, पछतावे को, संताप को।

छोड़कर कैसे चलूँ, मुश्किल में,अपने आप को।

मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन,
अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को

अब यहाँ से वापसी का रास्ता कोई नहीं,
मुश्किलों से पँहुचे हो,समझाओ अपने आपको।

मेघ ऐसे घिर गए हैं सूर्य धूमिल हो गया,
कामनाओं की नदी पर चाहती है ताप को।

हमको खुद को दर्द देने के बहाने चाहिए,
सौ सबब* में एक तू भी गिन ले अपने आपको।

आपका ठुकराया ये जीवन भला जाता कहाँ,
शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को।

ग्लानि में डूबी हुई मन की अहिल्या राम जी!
हर घड़ी ये सोचती है तोड़ दो अब शाप को।

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 321

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by मनोज अहसास on December 1, 2022 at 11:07am

आदरणीय मुसाफिर साहब हार्दिक आभार

सादर

Comment by मनोज अहसास on December 1, 2022 at 11:06am

आदरणीय समर कबीर साहब

सादर प्रणाम

कृपा दृष्टि बनाये रखें

बहुत बहुत आभार

सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 29, 2022 at 4:59pm

आ. भाई मनोज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।   आ.भाई समर जी की सलाह से यह और निखर जायेगी।

Comment by Samar kabeer on November 28, 2022 at 11:30am

 // मुझे तो इसकी बह्र ठीक ही लग रही है//

बह्र ठीक है, मुझसे ही भूल हुई,क्षमा चाहता हूँ, आप जानते हैं आँखें कमज़ोर हैं ।

//अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है//

"और" शब्द को "और" लिखना ही उचित होता है ।

'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'

इस मिसरे में 'की' को "के" कर लें ।

बाक़ी शुभ-शुभ ।

Comment by मनोज अहसास on November 27, 2022 at 6:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर साहब

'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I मुझे तो इसकी बहर ठीक ही लग रही है सर बाकी आप निर्देश देने की कृपा करें

'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?

इसमें अर शब्द का प्रयोग और के अर्थ में किया गया है....

'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?

इस मिसरे में नाप का अर्थ लंबाई से है

बाकी गजल के विषय में आप अपनी राय देने की कृपा करें बहुत-बहुत आभार आदरणीय

Comment by Samar kabeer on November 27, 2022 at 2:35pm

जनाब मनोज अहसास जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें I 

'मन घिरा है वासना में,और मर्यादा में तन'--- इस मिसरे की बह्र देखें I 

'अर छुपाना भी कठिन है,उबले जल की भाप को'--- इस मिसरे में "आर" क्या है ?

'शून्य पथ में खोजता हूँ जिंदगी की नाप को'--- इस मिसरे में 'नाप' का क्या अर्थ है ?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service