मनका / वर्णिका छंद - तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांत
मस्त जवानी
फिर न आनी
हसीं कहानी !
*
आई बहार
अलि गुँजार
पुष्प शृंगार !
*
झड़ते पात
अन्तिम रात
एक यथार्थ !
*
मुक्त विहार
काम विकार
देह व्यापार!
*
घोर अँधेरा
छुपा सवेरा
स्वप्न का डेरा !
सुशील सरना 3-10-23
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ. भा सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर छन्द हुए हैं। हार्दिक बधाई।
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