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कानों से देख दुनिया को चुप्पी से बोलना
आँखों को किसने सीखा है दिल से टटोलना ।१।
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कौशल तुम्हें तो आते हैं ढब माप तौल के
जब चाहो खूब नींद को सपनों से तोलना।२।
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कब जाग जाये कौन सा बदज़ात जानवर
सीमा के हर कपाट को खुलकर न खोलना ।३।
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करना हमेशा अन्न का जीवन में मान तुम
चाहे पड़े भकोसना या फिर कि चोलना।४।
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चक्का समय का घूम के लौटा है फिर वहीं
जिस में बुढ़ापा चाहता बचपन सा डोलना।५।
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मन ये तुम्हारा आज भी जन्नत से कम नहीं
उस में कभी जहान के विष को न घोलना।६।
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आये जो मौत द्वार पे छिपना न जिन्दगी
हर डर बिसार साँस को उस से तू मोलना।७।
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चोलना= मुँह जूठा करना (नाममात्र का खाना)
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