For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमावस सी ज़िंदगी में

अचानक ही 
छिटक गयी चाँदनी 
एक बादल की ओट से 
निकलते हुए 
चाँद ने कहा 
क्यूँ मायूस हो ? 
मैं हूँ न ..
और यह कह 
मुस्कुरा दिया 
मैं खो गयी 
उस मुस्कान में 
उसकी स्निग्ध शीतलता ने 
जैसे दग्ध मन पर 
रख दिए 
बर्फ  के फाहे 
और 
पिघलता रहा 
बूँद बूँद 
जो हृदय 
पत्थर हो चला था ...

 

Views: 996

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sangeeta swarup on August 8, 2011 at 3:17pm

आशीष जी और सुजीत जी , 

रचना पसंद करने के लिए आभार 

Comment by Sujeet Kumar on August 7, 2011 at 10:35am

saurabh pandey ji ne apke rachna ki bahothi sahi vishlesan ki hai...

sach men apki rachna padhne ke baad dil ko jaisi ek rahat miti hai aur man ko hausala milta hai

Comment by आशीष यादव on August 5, 2011 at 9:10pm

जलते हृदय को शांत करती रचना, और जीने का हौसला बढाती है|
धन्यवाद|

Comment by sangeeta swarup on July 29, 2011 at 10:07pm

वेद व्यथित जी  और रजनी जी 

बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by rajni khaitan on July 29, 2011 at 12:21pm

बहुत सुन्दर...दिल को छू गई

Comment by sangeeta swarup on July 28, 2011 at 6:21pm

सुनीता जी , 

मेरी रचना ने आपकी परेशानी का थोड़ा स अंश भी कम किया तो सार्थक हुई यह रचना ... आभार 

Comment by sangeeta swarup on July 28, 2011 at 6:20pm

सौरभ जी ,  

आपकी टिप्पणी ने हौसले में इज़ाफा किया ... आभार 

Comment by सुनीता शानू on July 28, 2011 at 5:11pm

आज मन बहुत परेशान सा था मगर आपकी ये कविता मुझमें एक उमंग सी जगा गई। बहुत अच्छा लगा पढ़कर।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 28, 2011 at 4:28pm

आस-निरास के द्वन्द्व और उसकी सार्थक अभिव्यक्ति से रचनाकार ने अपने प्रति पाठकों की उम्मीदें बढ़ा ली हैं. हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by sangeeta swarup on July 28, 2011 at 3:31pm

विश्वजीत यादव जी , 

आपको रचना पसंद आई उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
10 hours ago
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"अपने शब्दों से हौसला बढ़ाने के लिए आभार आदरणीय बृजेश जी           …"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहे
"ज़िन्दगी की रह-गुज़र दुश्वार भी करते रहेदुश्मनी हम से हमारे यार भी करते रहे....वाह वाह आदरणीय नीलेश…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों के संघर्ष को चित्रित करती एक बेहतरीन ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी एक और खूबसूरत ग़ज़ल से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार।    हरेक शेर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय भंडारी जी बहुत ही खूब ग़ज़ल कही है सादर बधाई। दूसरे शेर के ऊला को ऐसे कहें तो "समय की धार…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार। लॉगिन पासवर्ड भूल जाने के कारण इतनी…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service