Comment
आशीष जी और सुजीत जी ,
रचना पसंद करने के लिए आभार
saurabh pandey ji ne apke rachna ki bahothi sahi vishlesan ki hai...
sach men apki rachna padhne ke baad dil ko jaisi ek rahat miti hai aur man ko hausala milta hai
जलते हृदय को शांत करती रचना, और जीने का हौसला बढाती है|
धन्यवाद|
वेद व्यथित जी और रजनी जी
बहुत बहुत शुक्रिया
बहुत सुन्दर...दिल को छू गई
सुनीता जी ,
मेरी रचना ने आपकी परेशानी का थोड़ा स अंश भी कम किया तो सार्थक हुई यह रचना ... आभार
सौरभ जी ,
आपकी टिप्पणी ने हौसले में इज़ाफा किया ... आभार
आज मन बहुत परेशान सा था मगर आपकी ये कविता मुझमें एक उमंग सी जगा गई। बहुत अच्छा लगा पढ़कर।
आस-निरास के द्वन्द्व और उसकी सार्थक अभिव्यक्ति से रचनाकार ने अपने प्रति पाठकों की उम्मीदें बढ़ा ली हैं. हार्दिक शुभकामनाएँ.
विश्वजीत यादव जी ,
आपको रचना पसंद आई उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया
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