For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शौक (झलकी) भाग-१
  • लेखक :-अतेन्द्र कुमार सिंह"रवि"
.
रामदीन-    अजी सुनती हो ,सोनू कहाँ है ? जरा उसे आवाज़ तो देना ---
रंजना-       (घर के अन्दर से आवाज़ आती है )
                 घर में तो नहीं है ........
रामदीन-   (घर में जाकर)
                शहर से हमारे सहपाठी श्री विनोद जी , जो एक बड़ी कम्पनी में इंजिनियर है आज वो हमारे यहाँ आ रहे हैं ....
                क्यों न सोनू को विनोद जी से कुछ जानकारी दिलवाएं ....कुछ तो सोनू में परिवर्तन होगा l
               खैर तुम उनके लिए चाय और नास्ते का प्रबंध करो ,वो आते ही होंगे ........
 
(तभी दरवाजे पर ठक-ठक की आवाज़ होती है)
रामदीन-      (दरवाज़ा खोलते हुए) अरे विनोद जी आप ! आइए-आइए स्वागत है हमारी कुटिया में ...
विनोद जी -   धन्यवाद, और भाई रामदीन कैसे हो आप? जबसे पढाई का साथ छूटा तब से मुलाकात नहीं हुई.
रामदीन-      हाँ भाई, आप तो शहर में जाकर इंजीनियरिंग की पढाई कर इंजिनियर बन गए हो.
विनोदजी-    अरे यार, आप कहना छोड़ो. तुम्हारा भी तो सेलेक्सन (आई.आई.टी) में हुआ था. क्या हुआ, एडमीशन क्यूँ नहीं लिया ?
रामदीन-      यार, तुम तो जानते हो मेरा एक सपना था इंजिनियर बनना, पर शायद तकदीर में नहीं था. पिताजी के पास उतने पैसे नहीं थे 
                   कि सपने को साकार रूप दें, किसी तरह तो बी.ए. किया लेकिन अब ये ................
( अन्दर से आवाज़  आती है )
रंजना-        अजी सुनते है ......चाय तैयार है......
रामदीन-     ठीक है, ले आना 
रंजना-        अच्छा जी .....
 
(रंजना चाय के साथ प्रवेश करती है)
विनोदजी-    भाभी जी नमस्ते ,आईए रख दीजिए
रंजना-        (धीरे से) कैसे हैं भाई जी आप ....वैसे ये आपका बराबर ज़िक्र किया करते हैं ......
विनोद जी-  यार आपके लाडले साहब कहाँ है ?     
रंजना-        वो कहीं नदी के किनारे बैठकर गुनगुना रहा होगा, गाने का बड़ा ही शौक है उसे
                  पर हम लोग कहते है कि बेटा, पढाई खतम कर, इंजिनियर बनकर अपने खानदान का नाम रोशन कर.
   
(तभी सोनू का प्रवेश होता है )
.

 

Views: 509

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on September 6, 2011 at 11:46pm

गुरूजी और अरुणजी आप दोनों का आभार.

Comment by satish mapatpuri on September 6, 2011 at 11:36pm

महीने का सर्वश्रेष्ठ रचनाकार बनने पर हार्दिक बधाई अतेन्द्र  जी 

Comment by Abhinav Arun on September 5, 2011 at 8:31pm
badhai atendra ji achchhi rachna !!
Comment by Rash Bihari Ravi on August 10, 2011 at 4:00pm

kahani badhia hain lekin jis tarah se aap likh rahe ho o naty saily me chala ja raha hain 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted blog posts
8 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service