For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Atendra Kumar Singh "Ravi"'s Blog (20)

ग़ज़ल-चादनीं तुम मेरी बनीं हो क्या

दूर है चाँद बंदगी हो क्या

दिल की बस्ती में रौशनी हो क्या 

 

और के ख्वाब को न आने दिये

ख्वाब में ऐसी नौकरी हो क्या 

 

मुड़के देखा हमें न जाते हुये

तल्ख़ इससे भी बेरुखी हो क्या 

 …

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on March 31, 2014 at 6:00pm — 16 Comments

अपने हाथों के लकीरों को बदल जाऊंगा.............

अपने हाथों के लकीरों को बदल जाऊंगा

यूँ लगा है की सितारों पे टहल जाऊंगा ll



जर्रे-जर्रे में इनायत है खुदाया अब तो

तू है दिल में बसा मैं खुद में ही ढल जाऊंगा ll



रो लिया चुपके जरा हस लिया हमनें ऐसे

ज़ख्म तो दिल के दबाकर मैं बहल जाऊंगा ll



प्यार में गम है मिला दिल हो गया ये घायल

ठोकरें खा के मुहब्बत में संभल जाऊंगा ll



है कशिश तीरे नज़र टकरा गयी हमसे जो

इक छुवन से ही जरा उसके मचल जाऊंगा ll



तू खुदा, बंदा मैं हूँ , हाथ जो सर पे रख…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on February 13, 2014 at 5:30pm — 8 Comments

ग़ज़ल-चल दिया है छोड़, क्या जुल्म ये काफी नहीं

2122     2122      1222       12

चल दिया है छोड़, क्या जुल्म ये काफी नहीं

==============================

अब हमारी याद भी क्यूँ तुम्हें आती नहीं

चल दिया है छोड़,क्या जुल्म ये काफी नहीं //१//

तू हमारे दिल बसा , इसमें है कैसी खता

हो गया हमसे जुदा याद क्यूँ जाती नहीं  //२//

वो हवायें वो फिजायें बुलाती हैं तुम्हें

आ तो जाओ फिर कोई बात यूँ भाती नहीं //३//

मुडके भी देखा नहीं तुम गये जाने…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on December 8, 2013 at 9:30pm — 7 Comments

ग़ज़ल.....खंज़र चुभा किस धार से

2212/2212/2122/212

 दिल में तुम्हारे है जो मुझको बताना प्यार से

यूँ भूल कर हमको भला क्या मिला संसार से

यूँ जानकर रुसवा किया आज महफ़िल में भला 

जो तोड़कर नाता चले क्यूँ भला इस पार से

चुप सी है धड़कन मेरी अब दिल भी है खामोश तो

घायल हुआ दिल मेरा खंज़र चुभा किस धार से

नादान हूँ मैं या कि अहसान उनका है जरा 

वो रोक देते हैं मुझे शर्त कि दीवार से

वो प्यार के मंजर हमें आज भी भूले नहीं

दिल भी…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on October 22, 2013 at 9:30pm — 22 Comments

******* बेवफाई ********

    

******* बेवफाई  ********

 दोस्ती का हक़ तो मैंने अदा किया 

 पर उसने मुझे कुछ दगा सा दिया 

जाने किस बात पे वो था रुका 

किस बात पे जाने भुला वो दिया 

दोस्ती…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on July 12, 2013 at 12:30pm — 6 Comments

****तुम हो आँखों में ऐसा लगता क्यूँ है****

तुम हो ख्वाबों में ऐसा लगता क्यूँ है

अब हो यादो में ऐसा लगता क्यूँ है…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on June 29, 2013 at 2:00pm — 4 Comments

कोई दिल को जलाता है ..............

कोई दिल को जलाता है कोई दिल को लुभाता है

कोई मासूम बनकर तो यूँ ही दिल में समाता है

ये दुनिया है यहाँ सब लोग चलते दिख ही जाते हैं

कोई दिल को लगाकर ठेस मन में मुस्कुराता है…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on November 14, 2012 at 1:30pm — 4 Comments

गज़ल........उनको हवा नाम दूँ जाने मैं क्या करूँ .............

गज़ल........उनको हवा नाम दूँ जाने मैं क्या करूँ .............

   वो दूर हैं आज यूँ जाने मैं क्या करूँ

  वो मूक हैं आज क्यूँ जाने मैं…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on March 16, 2012 at 1:21pm — 15 Comments

कविता -नव युग की कामना

 ***********************************       
      नव युग की कामना 
**********************************

बीते कल का फ़साना                                          

नहीं दोहराना है जनाब 
नये युग का तराना 
अब गुनगुनाना है जनाब…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on January 4, 2012 at 2:00pm — 10 Comments

इलेक्शन

 **************************************           
            इलेक्शन
***************************************

वो इलेक्शन में खड़ा होने लगा है 

लालच का बीज फिर से बोने लगा है 


बनके मंत्री न दौरा किया वो कभीं 
हाथ जोड़के सर को झुकाने लगा है 


पहले ना थी उसको…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on December 23, 2011 at 1:00pm — 2 Comments

मन की सोच ----- कविता

कविता

गिराया था फलक से कि
नीचे कोई है 
उठा लेगा उसे 
मिले जो ज़ख्म थे 
भरेंगे आप ही 
छूने से उसके .....
एक हवा आई तो थी 
नरमी का आभास दे 
गुज़र गयी छूके 
बदन  को जैसे 
मानो हाथ रख 
कोई  दिया हो ......…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on November 26, 2011 at 2:36pm — 3 Comments

शौक (झलकी) भाग-3 एवं अंतिम

शौक (झलकी) भाग-3 एवं अंतिम
.
रंजना-     हाँ , पता नहीं कक्षा ८ से ही क्या हो गया इसे. ये बस कहता है कि हम गायक बनेंगे.
               गाँव में एक श्यामू जी का बेटा है ,वो कितना अच्छा है पढने में और एस साल उसका एडमिशन आई.आई. टी में हुआ है.           मैं भी चाहती हूँ कि...
विनोद जी-   समझ गया. आओ…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 16, 2011 at 11:00am — 3 Comments

शौक (झलकी) भाग-२

गतांक से आगे ...
शौक (झलकी) भाग-२
.
सोनू प्रवेश कर विनोदजी को नमस्ते कर अपने कमरे में प्रवेश कर जाता है.
रंजना-          आप तो इंजिनियर बन गए हैं, वो भी एक बड़ी कम्पनी में.
विनोदजी-     यह सब आप सभी के आशीर्वाद का फल है भाभी जी. वही तो अभी बात हो रही थी कि रामदीन भी तो…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 12, 2011 at 9:00am — 1 Comment

शौक (झलकी) भाग-१

शौक (झलकी) भाग-१
  • लेखक :-अतेन्द्र कुमार सिंह"रवि"
.
रामदीन-    अजी सुनती हो ,सोनू कहाँ है ? जरा उसे आवाज़ तो देना ---
रंजना-       (घर के अन्दर से आवाज़ आती है )
                 घर में तो नहीं है ........
रामदीन-   (घर में जाकर)
                शहर से हमारे सहपाठी श्री विनोद जी , जो एक बड़ी कम्पनी में इंजिनियर है आज वो…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 10, 2011 at 10:30am — 4 Comments

एक अश्क गिरा--ग़ज़ल

एक अश्क गिरा और फूट गया छन से

न हुई आवाज़ कोई रूठ गया तन से 
निकल पड़ा था सहर-ए-रौशनी  लिए हुए 
हो रही क्यूँ शाम कौंध रहा मन से 
पास थी बाज़ी एक हाँथ में यूँ  ज़रा 
पत्ते उलट गए हैं अपनीं ही रन से …
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 4, 2011 at 10:30am — 1 Comment

कहलाते 'किसान'

हम करते रहे खेतों में अनवरत काम 

सबका पेट भरते, कहलाते 'किसान'

 

भोर हुई कि चल पड़े डूबके अपने रंग 

ले हल कांधो पे और दो बैलों के संग 

बहते खून पसीना तज कर अपने मान 

सबका पेट भरते, कहलाते 'किसान'          ---१

 

हैं उपजाते अन्न सब मिलकर खेतों में हम 

फिर भी मालियत पे इसके हैं अधिकार खतम

सबकुछ समझ कर भी हम बनते है नादान 

सबका पेट भरते, कहलाते 'किसान'         ---२

 

भूखे हैं हमसब या अपना  है पेट…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 4, 2011 at 9:29am — 2 Comments

पुरवा ने ली अंगड़ाई

हे पिया, तू अब तो आजा 

पुरवा ने ली अंगड़ाई l

सिहर उठा ये तन मन मोरा 

है बरखा बहार आई ||

 

काँप रहा तन ये अपना

बज रहा यूँ ही कंगना |

तनहा तनहा जीते जीते 

अब आँख है भर आई ||

 

हे पिया, तू अब तो आजा 

पुरवा ने ली अंगड़ाई ll

 

सज गए सभी नज़ारे 

तन पे गिर रही फुहारें |

धीरे धीरे रुक रुक के 

अब तो चल रही पुरवाई ||

 

हे पिया, तू अब तो आजा 

पुरवा ने ली अंगड़ाई…

Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on August 3, 2011 at 6:00pm — 2 Comments

ग़ज़ल

             ग़ज़ल 



लगती है बाज़ार गुज़रते हैं आदमीं 

हर रोज़ बिकने खड़े होते हैं आदमीं 



उठते हैं हर सुबह जाने क्या सोचकर 

इस पेट के आगे पर झुकते  हैं आदमीं 



तपती दोपहरी में जब लगती है प्यास 

बुझे ए कैसे यही सोचते हैं आदमीं …



Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on July 24, 2011 at 9:47am — 2 Comments

"व्यथा"

                    "व्यथा" 
ज़िन्दगी के सफ़र में ऐसा क्या ये हुआ 
ये कदम थे रुके मेरे, वक़्त चलता रहा 
जाने रूठा है मुझसे मेरा आईना …
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on July 21, 2011 at 1:46pm — 2 Comments

चल रहा आदमी

        "चल रहा आदमी"

वक़्त  के हासिए पर लटक रहा आदमी

कभी इधर, कभी उधर चल रहा आदमी
 
जाने क्या बात है उनके दिलों में 
 चेहरों पे नकाब ले चल रहा आदमी 
उठतीं हैं हिलोरें समुन्दर में…
Continue

Added by Atendra Kumar Singh "Ravi" on July 21, 2011 at 11:24am — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
26 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service