******* बेवफाई ********
दोस्ती का हक़ तो मैंने अदा किया
पर उसने मुझे कुछ दगा सा दिया
जाने किस बात पे वो था रुका
किस बात पे जाने भुला वो दिया
दोस्ती .......................................
वैसे भीड़ में अपनों के था मै अकेला
मेरे साथ गैरों ने कुछ उसने भी खेला
वफ़ा की बातें अब कहाँ तक चलेंगीं
ठुकराकर मुझे अब समझा वो दिया
दोस्ती..........................................
दुनिया में पैसा है तो खरीदेंगे दिल भी
जरूरत नहीं है आज अब तेरी अभी
नहीं आज रहमत है मेरे दिल में
कहकर ये दामन छुड़ा वो लिया
दोस्ती..........................................
अपने ही मुकद्दर से हैरान हूँ
उससे मै आज भी अनजान हूँ
कितना जला हूँ तिल-२ के यारों
कहकर दिलजला दिल दुखा वो दिया
दोस्ती..............................................
***********************************
मौलिक और अप्रकाशित
***********************************
अतेन्द्र कुमार सिंह "रवि"
Comment
सुंदर प्रयास के लिए बधाई.................
आपकी प्रस्तुत रचना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, अतेन्द्र भाईजी. .
शुभेच्छाएँ
प्राची दीदी की मेरा सादर प्रणाम ......वैसे आपने लिखा है की मन में उठते भावो की अभिव्यक्ति अभी काफी अपरिपक्व है...तो कृपया इंगित भी करे कि जो मन में भावना उठी है उसको और कैसे अभिव्यक्त किया जा सकता है , हम आपके बहुत आभारी रहेंगे ....वैसे ये हमारी बहुत पुरानी रचना है ...
मन में उठते भावो की अभिव्यक्ति अभी काफी अपरिपक्व है...
और रचनाकारों की रचनाएँ भी पड़ें काफी कुछ स्वयमेव ही समझ आने लगेगा
शुभकामनाएँ
अपने ही मुकद्दर से हैरान हूँ
उससे मै आज भी अनजान हूँ
कितना जला हूँ तिल-२ के यारों
कहकर दिलजला दिल दुखा वो दिया
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online