For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-चल दिया है छोड़, क्या जुल्म ये काफी नहीं

2122     2122      1222       12

चल दिया है छोड़, क्या जुल्म ये काफी नहीं

==============================

अब हमारी याद भी क्यूँ तुम्हें आती नहीं

चल दिया है छोड़,क्या जुल्म ये काफी नहीं //१//

तू हमारे दिल बसा , इसमें है कैसी खता

हो गया हमसे जुदा याद क्यूँ जाती नहीं  //२//

वो हवायें वो फिजायें बुलाती हैं तुम्हें

आ तो जाओ फिर कोई बात यूँ भाती नहीं //३//

मुडके भी देखा नहीं तुम गये जाने कहाँ

होश मेरा ले लिया जान क्यूँ जाती नहीं  //४//

मन तुझे तो सौप कर तन भी अर्पित कर दिया

रूह भी अर्पण तुझे अब तो कुछ बाकी नहीं  //५//

जल रहा है दिल मेरा, रो रही अब आँख ये

सुन के ना आये कभीं ऐसा तू मांझी नहीं  //६//

साथ देते 'रवि' ये आँसू तेरे दिन रात अब

आ ही जाते आँख से अब कोई नाही नहीं  //७//

=================================

मौलिक और अप्रकाशित -अतेन्द्र कुमार सिंह'रवि'

=================================

नाही-कोई रोकने वाला,मना करने वाला 

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on December 10, 2013 at 8:24pm

आदरणीय नीरज जी धन्यवाद आपको ...सादर

Comment by Neeraj Neer on December 10, 2013 at 9:49am

बहुत सुन्दर 

मन तुझे तो सौप कर तन भी अर्पित कर दिया

रूह भी अर्पण तुझे अब तो कुछ बाकी नहीं .. क्या खूब कहा है ..

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on December 9, 2013 at 9:53pm

डॉ आशुतोष मिश्र जी और आदरणीय गिरिराज जी आप दोनों जन को सादर प्रणाम और बहुत बहुत धन्यवाद  सराहने के लिए ....हम इसके हक़दार है भी कि नहीं पता नहीं .....पर हमारा ग़ज़ल कहना सार्थक हुआ .....आप सब अपना स्नेह यूँ ही बनाये रखें ......आभार

Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on December 9, 2013 at 9:47pm

आदरणीया मीना पाठक जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद...आपको हमारी ग़ज़ल पसंद आई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 9, 2013 at 5:10pm

आदरणीय अतेन्द्र भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है भाई , आपको हार्दिक बधाई !!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 2:51pm

मन तुझे तो सौप कर तन भी अर्पित कर दिया

रूह भी अर्पण तुझे अब तो कुछ बाकी नहीं  //५...इस बहतरीन रचना का ये शेर मुझे बेहद भाया ..सादर 

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 1:52pm

बहुत सुन्दर गज़ल , बधाई आप को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service