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कविता -नव युग की कामना

 ***********************************       
      नव युग की कामना 
**********************************

बीते कल का फ़साना                                          

नहीं दोहराना है जनाब 
नये युग का तराना 
अब गुनगुनाना है जनाब  //१//


सो रही जो चेतना है 
बंद हो कर के घरों में 
दिल से करके कोशिशें
उसको जगाना है जनाब //२//
*

 
वक़्त ठहरता है नहीं 
 क्षण भर किसी के वास्ते 
मार से इसकी हमें अब 
खुद को बचाना है जनाब //३//

 
हममें वो शक्ति निहित है 
जो पलट दें रुख हवा का 
सोच अपनी हमें बदलकर 
कदम मिलाना है जनाब  //४//
 
रुक ना जाये कारवां यूँ
थम न जाये अपना सफ़र 
जाकर गगन पे तिरंगा 
अब फहराना है जनाब  //५//
 
लहराए आगे ये परचम 
निज देश का जहाँ में 
कुछ ऐसा अब धरा पे 
कर दिखाना है जनाब  //६//
 
मिलकर कसम लें साथ में 
आज हम सब यूँ एक होकर 
नव युग की कामना अब 
मन में सजाना है जनाब //७//
 
***************************************
          अतेन्द्र कुमार सिंह 'रवि'
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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 15, 2012 at 11:41pm
हममें वो शक्ति निहित है 
जो पलट दें रुख हवा का 
सोच अपनी हमें बदलकर 
कदम मिलाना है जनाब  //४/
 रवि जी  बहुत खूब ...चेतना जगाती होश दिलाती रचना ..काश   हम  हमारे युवा जाग जाएँ  ...बधाई ...आइये साहित्य सृजन में बढे चलें  ...जय श्री राधे 

भ्रमर ५ 

Comment by Brij bhushan choubey on January 25, 2012 at 2:16pm
वक़्त ठहरता है नहीं 
 क्षण भर किसी के वास्ते 
मार से इसकी हमें अब 
खुद को बचाना है जनाब //३//vah bahut hi khubsurat rachna ...badhai  atendra kumar ravi ji .
Comment by आशीष यादव on January 11, 2012 at 7:09am
Bahut khub Atendra bhai. Achchhi rachna hetu badhai.
Comment by AVINASH S BAGDE on January 7, 2012 at 7:16pm
सो रही जो चेतना है  
बंद हो कर के घरों में 
दिल से करके कोशिशें 
उसको जगाना है जनाब //२//...chaitany jagata ek sunder prayas 'बहुत खूब अतेन्द्र जी.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 7, 2012 at 2:40pm
//हममें वो शक्ति निहित है 
जो पलट दें रुख हवा का 
सोच अपनी हमें बदलकर 

कदम मिलाना है जनाब//


बहुत ही सुन्दर भावों से सजी उस रचना के लिए बधाई स्वीकार करें अतेन्द्र भाई.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 7, 2012 at 11:19am
मिलकर कसम लें साथ में 
आज हम सब यूँ एक होकर 
नव युग की कामना अब 

मन में सजाना है जनाब

बहुत खूब अतेन्द्र जी, अच्छी रचना की प्रस्तुति है, बधाई स्वीकार करें , आगे भी आपकी रचनाएँ और अन्य साथियों की रचनाओं पर आपके बहुमूल्य विचारों का स्वागत रहेगा |

Comment by satish mapatpuri on January 4, 2012 at 9:24pm
रुक ना जाये कारवां यूँ
        थम न जाये अपना सफ़र
जाकर गगन पे तिरंगा
        अब फहराना है जनाब  //५//
इस ज़ज्बे को सलाम करता हूँ रवि जी ................ बेहतरीन रचना ........ बहुत -बहुत बधाई

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 4, 2012 at 4:33pm

रचना में अंतर्निहित प्रवाह और भाव के साथ समृद्ध शब्द संयोजन हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें, भाई अतेन्द्र रवि जी. 

 

Comment by Abhinav Arun on January 4, 2012 at 4:20pm
अच्छी और सकारात्मक सोच की रचना हेतु हार्दिक बधाई रवि जी !!
Comment by mohinichordia on January 4, 2012 at 3:29pm

बहुत खूब" रवि' जी |नव युग का नया गान आपने गाया \

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