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Comment
bahut sundar jhalki likha hai aapne. shauk ko career banane ki uchit salaah diya hai.
rachna sundar hui hai.
sundar rachna hetu badhai.
bahut badhia khubsurat ant
हर तरह के वही-वहीपन को नकारता और अपने लिये नयी राह अपनाने को तैयार हर किशोर ऊँचे से ऊँचे जाना चाहता है किन्तु हर प्रयास ठोस प्रयत्न की मांग भी करता है. स्वप्न देखने बहुत ज़रूरी हैं, परन्तु, उन स्वप्नों को सचाई में बदल सकने का जोश संकल्प बन कर भी उभरे. वर्ना सारे स्वप्न दिवास्वप्न भर बन कर किसी स्वप्नद्रष्टा का जीवन ही बर्बाद कर रख देते हैं. इस बात के परिप्रेक्ष्य में आपकी नाटिका को देख-पढ़ गया. बहुत-बहुत बधाई.
इस सुखांत नाटिका के शिल्प पर भी, अतेन्द्र, आपको ढेरों साधुवाद. आपने बहुत ही सधे हुये ढंग से इसके कथानक को बढ़ाया है. पात्रों के वार्तालाप में भी व्यावहारिक सहजता बनी हुयी है. कैशोर्यावस्था की तथाकथित काल्पनिक उड़ान यदि ठोस आधार पा जाय तो एक जीवन क्या से क्या हो जाता है इस बात को बेहतर ढंग से उभारती है यह नाटिका. आपकी इस सशक्त रचना के लिये पुनः मेरा हार्दिक अभिनन्दन.
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