For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शौक (झलकी) भाग-3 एवं अंतिम

शौक (झलकी) भाग-3 एवं अंतिम
.
रंजना-     हाँ , पता नहीं कक्षा ८ से ही क्या हो गया इसे. ये बस कहता है कि हम गायक बनेंगे.
               गाँव में एक श्यामू जी का बेटा है ,वो कितना अच्छा है पढने में और एस साल उसका एडमिशन आई.आई. टी में हुआ है.           मैं भी चाहती हूँ कि...
विनोद जी-   समझ गया. आओ बेटा इधर, पास बैठो. .   
(सोनू पास जाकर बैठ जाता है)
विनोदजी-    बेटा तुम्हारा हाईस्कूल में क्या पोजिसन था ?
सोनू-          अंकलजी  ७०%
विनोदजी-   अभी तो पी.सी.ऍम ग्रुप होगा आपका ११ वीं में.
सोनू-          हाँ, अंकल जी 
विनोदजी-   सबसे पसंदीदा सब्जेक्ट कौन सा है ?
सोनू -         मैथ्स और इंग्लिश 
विनोदजी-   क्यूँ नहीं पिताजी के सपने को पूरा करने की कोशिश करते हो बेटा? आखिर क्या बात है, हमें भी बताओ जरा 
सोनू-          पर  (हकलाता हुआ) अअअअअअ...  मेरा इंजिनियर बनने का इरादा नहीं है अंकल जी.     
विनोदजी-   क्यूँ नहीं है, अपनी पूरी बात तो बताओ. तुम्हारी पढाई भी अच्छी है, नंबर भी अच्छे  हैं .. और मैथ्स, इंग्लिश पसंदीदा सब्जेक्ट भी है,  फिर क्या हुआ कि.....
सोनू-          पर मेरा गाने का शौक है. मैं गाना चाहता हूँ  और एक सफल गायक बनना चाहता हूँ.
रामदीन-     देखा विनोद ! मैं कहता था न, साहबजादे गवइया बनेंगे और नाक कटवाएँगे मेरी. मैंने तो सोचा था कि जो मैं न कर सका वो मेरे बेटे साहब कर दिखाएँगे. लगता है, मेरा वो सपना सपना ही रह जायेगा. गाने के शौकीन हो गए हैं साहब.
विनोदजी-    ठहरो भाई. इतने नाराज़ क्यूँ होते हो ? (सोनू से) सोनू ये तो बताओ, मानता हूँ कि गाना तुम्हारा शौक है पर कैरिअर  तो नहीं.... तुम्हारे पिताजी ज़मीन बेचकर पढाना चाहते हैं, इंजिनियर बनना देखना चाहते हैं...
सोनू-           अंकलजी एक बात कहूँ ?
विनोदजी-     कहो बेटा ...जो चाहते हो बोलो .......
सोनू-            मैं चाहता हूँ कि...
रामदीन -    क्या चाहते है यही न...
विनोदजी-   रुको भी रामदीन, सुन तो लो आखिर इनके भी दिल की बातें....
                हाँ बोलो सोनू ..........
सोनू-         मैं चाहता हूँ की गाने के comptition में भाग लूँ.
विनोदजी -  यह आप दिल से चाहते है या कहीं सुनकर, देखकर गाने का मन कर रहा है ?
सोनू-         नहीं यह मेरा शौक भी है और इसे करिअर के रूप में अपनाना चाहता हूँ...
विनोदजी-   रामदीन इसका सपना तुम्हारे सपने से अलग तो है पर इसका यह लक्ष्य है और इसे सामने मंजिल भी दिख रही है. अब जरूरत है तू इसकी हाँ में हाँ मिला और इसके शौक के साथ-साथ करिअर बनाने में अच्छी भूमिका निभाने की कोशिश कर. इसी में तुम्हारे और तुम्हारे परिवार कि भलाई है.
रामदीन -  पर यार..
विनोदजी-   अब पर-वर कुछ नहीं ....इसे हमारे साथ मुंबई जाने दो ....
रंजना-    लेकिन भाई साहब आपको क्या लगता है कि ये...
विनोदजी-  अब लगना-वागना छोड़िए भाभी जी...अब ऊपर वाले पर विश्वास कर इसको राह चुनने में मदद करो आप सब. तो कल सुबह हम और सोनू मुंबई जायेंगे .......
(मुंबई रेल द्वारा दोनों प्रस्थान करते है )
कुछ दिनों बाद...
रामदीन-     हैलो........
(आवाज़ आती है) हाँ भाई, मैं विनोद बोल रहा हूँ ...नमस्ते 
रामदीन-      हाँ यार नमस्ते. कैसा है तू ?....
विनोदजी-   ठीक हूँ यार, ले अपने लाडले से तो बात कर....
               यह एक स्टार गायक बन चूका है... अभी तू टीवी ऑन कर और खुद देख ले....
रामदीन-     परन्तु यह सब कैसे हुआ यार??? ............
विनोदजी-   भाई इसका शौक था और उसे इसने अपने जीवन में इसे ढाल लिया...
               और जानता है इसे १ करोड़ का कांट्रेक्ट मिला है... और तो और, एक फिल्म में अपनी आवाज़ देने जा रहा है.
रामदीन  -  आज मैं बहुत खुश हूँ यार कि मेरा बेटा.....
विनोदजी-   आखिर तू इंजिनियर बनना चाहता था. क्या सोनू अपनी ये तमन्ना पूरी कर पाता, नहीं न !? ...
                 आज यह जहाँ कहीं है हम सब से आगे है..
रामदीन-     शायद मैं ही गलत था
                मेरा बेटा सोनू अपने शौक को अपनी मंजिल में तब्दील कर लिया. यही हमें और हमारे परिवार के लिए सबसे बड़ी ख़ुशी है
..........................समाप्त.....................

 

.

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on September 4, 2011 at 10:18pm

bahut sundar jhalki likha hai aapne. shauk ko career banane ki uchit salaah diya hai.

rachna sundar hui hai.

sundar rachna hetu badhai.

Comment by Rash Bihari Ravi on August 16, 2011 at 4:18pm

bahut badhia khubsurat ant


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 16, 2011 at 3:08pm

हर तरह के वही-वहीपन को नकारता और अपने लिये नयी राह अपनाने को तैयार हर किशोर ऊँचे से ऊँचे जाना चाहता है किन्तु हर प्रयास ठोस प्रयत्न की मांग भी करता है. स्वप्न देखने बहुत ज़रूरी हैं, परन्तु, उन स्वप्नों को सचाई में बदल सकने का जोश संकल्प बन कर भी उभरे. वर्ना सारे स्वप्न दिवास्वप्न भर बन कर किसी स्वप्नद्रष्टा का जीवन ही बर्बाद कर रख देते हैं. इस बात के परिप्रेक्ष्य में आपकी नाटिका को देख-पढ़ गया. बहुत-बहुत बधाई.

 

इस सुखांत नाटिका के शिल्प पर भी, अतेन्द्र, आपको ढेरों साधुवाद. आपने बहुत ही सधे हुये ढंग से इसके कथानक को बढ़ाया है. पात्रों के वार्तालाप में भी व्यावहारिक सहजता बनी हुयी है. कैशोर्यावस्था की तथाकथित काल्पनिक उड़ान यदि ठोस आधार पा जाय तो एक जीवन क्या से क्या हो जाता है इस बात को बेहतर ढंग से उभारती है यह नाटिका. आपकी इस सशक्त रचना के लिये पुनः मेरा हार्दिक अभिनन्दन.

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service