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ऐ मेरे वतन के लोगों ....

 

 

 

फिर नज़दीक आती स्वतंत्रता दिवस की एक और वर्षगाँठ और मन  में उठते सवालों का बवंडर ,क्या यह पूर्ण स्वतंत्रता है  या क्या येही स्वतंत्रता है ? की जब जिसे चाहो लूट लो ,मार दो ,उजाड़ दो ? या फिर ..आज शहीदों को नमन करो कल भूल जाओ ? या फिर गरीबों की सहायता करने के झूठे वादे करो ,अपना मतलब साधो और बिसरा दो ?

 

दहेज़ प्रथा और उसकी वेदी पे चढ़ती बलि क्या रोक पाए हम? बाल विवाह का आस्तित्व मिटा पाए हम ? बेरोज़गारी और भुखमरी क्या अब भी प्रमुख समस्याएँ नहीं ? ये और इन जैसे अनगिनत प्रश्नों का उत्तर मिला क्या ?
आतंकवाद भ्रष्टाचार घोटालों की आंधी अलग ही तबाही की और धकेलती जा रही ..निराशा कुंठा आत्महत्याओं के नित नए ब्योरे मिलते हैं ..क्या ये ही स्वतंत्रता है ?

आज भी अपनी गरिमा और आस्तित्व को बनाए रखने क लिए एनी देशों की और देखना क्यों पड़ता है ? क्यों हमारे अपराधी को मुक़म्मल सज़ा देने क लिए दोषियों को कटघरे में लाने क लिए किसी विकसित देश की और ताकना पड़ता है ?और तो और..वो शहीद जो मर मिटे देश की स्वाधीनता क लिए उनको भी भूल जाना कितना सहज हो गया है .
हाँ कुछ सुना तो है की देश कई क्षेत्रों में आगे बढ़ रहा ..परन्तु ये कितना सत्य है कितना सिर्फ कागज़ पे लिखा हुआ ,राम ही जानें .

हाँ इतना कुछ मैं लिखने को स्वतंत्र हूँ..किसी स्पष्ट गुलामी में नहीं जकड़ी  इसलिए नमन करती हूँ अपने देश को और उन शहीदों को जिनके बलिदान के कारण आज हम स्वयं को गर्वित स्वतंत्र भारतीय कहते हैं . उनको मेरा सादर नमन और श्रद्धा सुमन . और अपने प्रिय तिरंगे को  सलामी जय हिंद ..जय हिंद .. जय हिंद  .

 

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