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शपथ  

राखी की मुझे

बहन  

 

देश की

रक्षा में होना

कुर्बान

 

मन में

पालना नहीं  

दुविधा

 

 रखूंगा   

 सदा देश का

 सम्मान     

 

बहना

खिला अब तो    

मिठाई....

 

एकादशी विधा में लिखे ये छंद गणेश भैया मैं आपको समर्पित करता हूँ ...आप इस विधा के अविष्कार कर्ता हैं ..इसलिए प्रथम प्रतिक्रिया के लिए आप से अनुरोध भी करता हूँ

 

डॉ. ब्रिजेश

 

 

 

 

 

 

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Comment

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Comment by Rash Bihari Ravi on August 18, 2011 at 8:27pm

sir ji bahut sundar hain ye ekadashi 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 18, 2011 at 8:25pm

ब्रिजेश भईया, बहुत ही सुंदर एकादसियाँ लिखने का प्रयास आप ने किया है, सभी एकादसी कथ्य परक है, सिर्फ एक निवेदन ....कोशिश यह रहे कि तीनो पक्तियां एक दुसरे से स्वतंत्र रहे, यानी एक साथ पढ़ने पर यह ना लगे कि यह एक ही पक्ति को तोड़कर लिखी गई है |

प्रथम प्रतिक्रिया हेतु आपका आदेश सर माथे पर, छोटा भाई हूँ सदैव आज्ञाकारी रहूँगा :-))))

 

कृपया ध्यान दे...

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