"अक्षर ही न जाने वो किताब क्या पढ़ पाएँगे
पानी मे बिना तैरे खुद मर जाएँगे
ज्ञान न जानो विज्ञान न जानो तुम
संविधान को तुम कैसे समझ पाओगे
लोकतंत्र का अर्थ मालूम नहीं हे जिन्हे
उनका हे दावा लोकतंत्र को बचाएँगे."
Comment
इंगित को अवगुंठित देखा, तिर्यक-प्रेषण अद्भुत पाया..
बधाई..
लाठियां चलाएंगे, आवाज को दबायेंगे,
लोक को डरा कर लोकतंत्र को बचायेंगे |
मोनिका जी इस लघु काव्य कृत हेतु आभार आपका |
बहुत सार्थक और सटीक प्रस्तुति. बधाई !
सच्चाई है,
इस रचना हेतु बधाई|
लोकतंत्र का अर्थ मालूम नहीं हे जिन्हे
उनका हे दावा लोकतंत्र को बचाएँगे."
मोनिका जी, ख्याल बेहतरीन है, बधाई.
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