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न कोई गिला, न कोई शिकवा,
उनसे न मिलना भी है एक सजा;
न मिले हम उनसे तो दिल डूबा रहता है उनकी यादो में,
मिले अगर हम उनसे तो दिल डूबा रहता है अरमानो में;
डरते हैं हम कि कहीं हम  बह न जाएँ इन अरमानो में,
कहीं रह न जाये बस वो मेरे खयालो में;
मेरी जिंदगी में बस यही कशमकश है,
और बस यही मेरी जिंदगी की उलझन है;
जितना उनको खोना  है  मुश्किल,
उतना उनको पाना भी है मुश्किल;
अपने मजबूरे दिल का हाल बयान करूँ मैं किससे,
जो हैं मेरे अपने डरता भी तो हूँ मैं उनसे;
जिंदगी के इस दौर को मैं पार करूँ मैं कैसे,
उलझन जो है मेरे मन में उनको हल करू मैं कैसे;

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Comment by satish mapatpuri on September 12, 2011 at 8:15pm

जितना उनको खोना  है  मुश्किल,
उतना उनको पाना भी है मुश्किल;

कोशिश ही सफलता की कुंजी है मिश्राजी, अच्छी रचना है, दाद कबूल करें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 12, 2011 at 10:14am

स्मृत मिश्रा जी अच्छा प्रयास है, रचना को कुछ और कसने की जरुरत है ताकि compact effect दे | बधाई स्वीकार करे |

कृपया ध्यान दे...

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