For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Smrit Mishra's Blog (10)

'रिश्तो का सच'

मां की ममता, पिताजी का त्याग,

बहन की समझदारी, भाई का प्यार!

क्या यही है रिश्तो की बुनियाद,

ये रिश्ते कभी नहीं होते बेकार!

माँ की ममता हमारे दुख भूलती,

हमको हमेशा सही राह दिखाती!

पिताजी कात्याग देता देता अनुशासन का पाठ,

बनता है हमको और भी महान!

बहन की समझदारी हमें हमेशा हौसला दिलाती,…

Continue

Added by Smrit Mishra on September 20, 2011 at 1:14am — 1 Comment

" उलझन"

न कोई गिला, न कोई शिकवा,

उनसे न मिलना भी है एक सजा;

न मिले हम उनसे तो दिल डूबा रहता है उनकी यादो में,

मिले अगर हम उनसे तो दिल डूबा रहता है अरमानो में;

डरते हैं हम कि कहीं हम  बह न जाएँ इन अरमानो में,

कहीं रह न जाये बस वो मेरे खयालो में;

मेरी जिंदगी में बस यही कशमकश है,

और बस यही मेरी जिंदगी की उलझन है;

जितना उनको खोना  है …

Continue

Added by Smrit Mishra on September 11, 2011 at 10:29pm — 2 Comments

" जालिम दुनिया"

साथ रहकर भी दूर हैं हम,
उनकी मजबूरियों के कारण मजबूर हैं हम;
उनकी चाहतो  को पूरा करूँ मैं हरदम,
पर बताते भी तो हैं वो मुझको कम;
कारण ये नहीं की जुदा हैं हम उनसे,
कारण तो ये है कि डरते है हम जगसे;
जग में कहीं उनकी जग हंसाई न हो जाये,…
Continue

Added by Smrit Mishra on September 11, 2011 at 10:28pm — No Comments

दिल्ली में गहराता ही जा रहा है मुसीबतों का सम्राज

दिल्ली जो कि दिलवालों कि नगरी कहलाती है उसपर एक के बाद एक मुसीबते टूटती जा रही है.

यहाँ पर गोलीबारी, लूटपाट, चोरी, अपहरण, हत्या जैसी समस्या आम हो  गयी है, जहाँ पर दिल्ली दिलवालों का शहर  हुआ करता था वही आज कल यह गुनाहों का शहर बन गया है.

जहाँ पर लोगो को घर से निकलते भी यह सोचना पड़ता  है कि वो सही सलामत घर आ भी पाएंगे कि नहीं. अगर हम किसी  भी तरह इस मानव निर्मित आपदाओ से  बच भी जाये तो प्राकृतिक आपदा भी हमारा पीछा नहीं छोडती है.

ठीक इसी प्रकार कि घटना ०७/०९/२०११ को घटी पहले तो…

Continue

Added by Smrit Mishra on September 8, 2011 at 12:36am — No Comments

"ख्वाहिसे"

दीवानगी क्या चीज़ है, मालूम न था;

इश्कियां क्या चीज़, मालूम न था;

 क्यों लोग खो जाते है ख्यालो में, मालूम न था;

क्यों हो जाते है लोग स्थिल, मालूम न था;

आज मेरे हर सवालों का जवाब मुझे मिला;

जिन्दगी का एक नया सबक मैंने सिख लिया;

 सिख लिए मैंने प्यार करने के तरीके,

 और सिख ली मैंने इश्क को जताने के सलीके;

 आज एक हौसला दिल में नया जगा;

जिसने जिन्दगी जीने का हौसला दिला दिया;

आज नयी उमंगो ने दी है दिल में दस्तक;

 जिनके…

Continue

Added by Smrit Mishra on September 7, 2011 at 10:25pm — 1 Comment

"प्यार"

दुनिया क इस मेले में ,
हम सभी बंधे है विश्वासों में .
रिश्तो की बुनियाद टिकी है विश्वासों में,
कमी  न हो कभी रिश्तों के विश्वासों में.
रिश्तो का नीव होती है भरोसे में ,
रिश्तो का प्यार छिपा है अपनों में.…
Continue

Added by Smrit Mishra on September 6, 2011 at 3:00pm — No Comments

"हसरत"

तेरे मुस्कुराहटों पर कुर्बान सारा जीवन,
तेरी चाहतो पर निसार सारा जीवन;
कभी न छोड़ना तू मेरा साथ,
वरना कुछ ना बचेगा मेरे हाथ;
तू कहे तो ला दे दूँ मैं सारी खुशियाँ,
तू कहे तो मिटा दूँ मैं अपनी जिंदगियां;
मेरा दामन थोड़ा तंग है,…
Continue

Added by Smrit Mishra on September 5, 2011 at 11:53pm — No Comments

"अजीब दास्ताँ "

तेरे साथ रहना भी है मुश्किल,
दूर तुमसे जीना भी है मुश्किल;
कैसी ये मजबूरी है मेरे मन की,
क्योकि यही दस्तूर है मेरे किस्मत की;
चाहता तो मैं भी हूँ तोडना इस बंदिशों को,
पर ये बेरहम जमाना रोकता है मेरे मन को;
तेरी इज्ज़त की खातिर चुप रहूँगा मैं सदा,
चाहे तू मिले न मुझे इस जहां;
बस तुझसे एक वचन चाहता हूँ,
तेरा हँसता हुआ चेहरा ही देखना चाहता हूँ:

Added by Smrit Mishra on September 5, 2011 at 11:52pm — No Comments

"अंजान राहें"

जिन्दगी का सफ़र कितना लम्बा है,

ये मालूम न था;

यादों की महफ़िल कितनी बड़ी है,

ये मालूम न था;

चाहता तो मैं भी तुम्हे था,

पर दिल में तेरे क्या है,

ये मालूम न था;

जब पता चला तो होश मैंने खो दिए,

तुझे पाने के लिए ,मेरे दिल ने रो दिए;

दीदार- ए-बिन तेरे रहना है मुश्किल,

पर तुझको पाना भी है मुश्किल;

चाह कर भी मैं तुझको अपना बना नहीं सकता,

पर तेरे बिना रह भी तो नहीं सकता;

दुआं मांगता हूँ खुदा से यही,

खुश…

Continue

Added by Smrit Mishra on September 5, 2011 at 11:49pm — No Comments

"इश्क में"

पहले कभी ऐसा तो था नहीं मैं,

दीवाना तुमने मुझको बना दिया;

सोचा कभी नहीं बदलूँगा मैं,

तेरे इश्क ने मुझको बदल दिया;

इश्क क्या चीज़ है मालूम न था,

तेरे मुहब्बत ने मुझको दीवाना बना दिया;

क्यों करते हो मुझ पर भरोसा…

Continue

Added by Smrit Mishra on September 4, 2011 at 12:30pm — 1 Comment

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपका हार्दिक धन्यवाद, शिज्जू भाई.  आपकी गजल के शेर सहज ही ध्यान आकृष्ट करते हैं. पुनः…"
2 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. जी, आदरणीय तिलकराज जी से मिले सुझावों के हम सभी…"
4 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सहजता और सौम्यता सम्माननीय है।"
43 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
" "था, बस तुम्हारा नाम था" रदीफ़ रखते हुए। 😊"
44 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"मेरे प्रयास की सराहना के लिए बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
50 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी सराहना और सुझाव दोनों समान रूप से स्वीकार्य है आदरणीय। स्नेहाशीष के लिए आभार।"
53 minutes ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"//टीस बढ़ती ही गयी, ज्यूँ ज्यूँ दवा लेता गयाउस दवा का नाम क्या था, बस तुम्हारा नाम था// बहुत ख़ूब…"
56 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, आपका कथन उचित है परंतु कई बार अनेंकों का भी प्रयोग किया जाता…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"सादर प्रणाम आदरणीय ! मेरी साधारण कहन को सोने के गहने पहना दिये आपने। मन प्रफ्फुलित हो गया आपका आशीष…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. भाई गजेंद्र जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service