मां की ममता, पिताजी का त्याग,
बहन की समझदारी, भाई का प्यार!
क्या यही है रिश्तो की बुनियाद,
ये रिश्ते कभी नहीं होते बेकार!
माँ की ममता हमारे दुख भूलती,
हमको हमेशा सही राह दिखाती!
पिताजी कात्याग देता देता अनुशासन का पाठ,
बनता है हमको और भी महान!
बहन की समझदारी हमें हमेशा हौसला दिलाती,
दुनिया के लोगो के बारे में बताती!
भाई का प्यार दिलाता हर रिश्तो का ज्ञान,
जिससे हम थे अभीतक अनजान!
फिर हम क्यों भूल जाते हैं उनसबो को,
क्यों कर देते हैं पल में पराया अपनों को!
फिर हम क्यों बेगाने होकर संसार से चले जातें हैं,
क्यों गम के आंसू में हर किसी को डुबों देते हैं!
जिसने हमको जनम दिया,
जिसने हमारा पालन किया!
जिसने हर पल हमारा साथ दिया,
जिसने हमको इतना ज्ञान दिया!
क्यों उससे हमने मुंह फेर लिया ,
क्यों उनका ही हमने साथ छोड़ दिया!
क्यों उनको पराया समझ लिया,
क्यों उनसे रुखसत हो लिया!
क्या यही उनकी नियति थी,
या हमारे अन्दर ही कमी थी!
गम के आंसूं को पीकर वो,
रहते इसी जमीं पर वो!
भूलते तो हैं यो कभी नहीं,
और किसी से कुछ कहते भी नहीं!
हंसी को अपने चेहरे की शोभा बनाते,
अपने हर गम को दिल में दबाते!
रहते हैं वो इसी जमीं पे,
फिर करते नहीं एतवार किसी पे!
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