For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब जो बिखरे तो फिजाओं में सिमट जाएंगे 

ओर ज़मीं वालों के एहसास से कट जाएंगे 

 

मुझसे आँखें न चुरा, शर्म न कर, खौफ न खा 

हम तेरे वास्ते हर राह से हट जाएंगे 

 

आईने जैसी नजाकत है हमारी भी सनम 

ठेस हलकी सी लगेगी तो चटक जाएंगे 

 

हम-सफ़र तू है मेरा, मुझको गुमाँ था कैसा 

ये न सोचा था कि तनहा ही भटक जाएंगे 

 

प्यार का  वास्ता दे कर  मनाएगी 'सिया' 

मेरे  जज़्बात से कैसे वो पलट जाएंगे

 

Views: 365

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shashi Mehra on September 22, 2011 at 7:50pm

अब जो बिखरे तो फिजाओं में सिमट जाएंगे 

ओर ज़मीं वालों के एहसास से कट जाएंगे bahut hi umda. wah wah.

 

Comment by Vikram Srivastava on September 21, 2011 at 3:49pm

आईने जैसी नजाकत है हमारी भी सनम 

ठेस हलकी सी लगेगी तो चटक जाएंगे ...

वाह वाह !!!! शानदार ग़ज़ल का बेहतरीन शे'र...बधाइयाँ।

 

Comment by mohinichordia on September 20, 2011 at 9:08am

अपने एहसास का इज़हार अच्छा करती हैं आप सिया जी |शुभकामनाएं |

Comment by satish mapatpuri on September 19, 2011 at 11:35pm

मुझसे आँखें न चुरा, शर्म न कर, खौफ न खा

हम तेरे वास्ते हर राह से हट जाएंगे

प्रेम में  त्याग का ही महत्व है .................... इस खुबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई सिया जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , चित्र के हर बिंदु का आपने रचना में उतार दिया है , बहुत बढ़िया , बहुत बधाई "
31 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय भाई दिए हुए चित्र पर  बहुत सुन्दर छंद रचे हैं आपने ,  पेड़ रहा था सोच, कि…"
35 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , हमेशा की तरह आपकी ये क्छ्न्दा रचना भी बहुत बढ़िया हुई है | आपको हार्दिक…"
43 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    रोला छंद * सीढ़ी  पर  है  एक, तीन  दीवारों  पर। लगते है शिशु…"
46 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी , चित्र के अनुरूप आपकी छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाई  चित्र को बखूबी चित्रित कर रही है आपकी रचना , हार्दिक बधाइयाँ आपको "
51 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय बड़े भाई , आभार आपका "
55 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"मिले बहुत दिन बाद, चूस कर खाने वाले, गूदे से मुँह-हाथ, गाल लिपटाने वाले,.....अहा! बहुत सुन्दर…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, रोला छंदों की प्रस्तुति की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रचना पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत-बहुत आभार आदरणीय मयंक जी.. सादर "
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service