चल पड़ा हूँ इक सफ़र पर,
एक अनजानी डगर पर |
मजिल पता है, कि जाना कहाँ है |
पर रास्ता नहीं, वो कहीं खो गया है |
वो मंजिल मैं अब हर डगर ढूँढता हूँ |
कभी तो मिलेगी, अगर ढूँढता हूँ |
जज्बों में हिम्मत, इरादे बड़े हैं |
मगर राह में ऊंचे पर्वत खड़े हैं |
इन्हें पार करना भी मुश्किल बड़ा है |
मगर अब ये बंद भी जिद पे अड़ा है|
इन्हें लांघने का सबब ढूँढता हूँ |
कभी तो मिलेगा अगर ढूँढता हूँ |
किसी कि दुआएं…
Posted on January 11, 2012 at 2:00am — 1 Comment
क्या वो पागल है, जो बेवजह मुस्कुराता है ?
पागल ही है, तभी सरे राह गुनगुनाता है |
अपनी ही धुन में वो गली गली घूमता है |
राह चलते जानवरों को तो कोई पागल ही चूमता है |
वो राहगीर है, उसका कोई घर बार बही है |…
Posted on November 29, 2011 at 3:22pm
तुमने कभी सुना है,
रात का शोर?
कभी सुने हैं
चीखते सन्नाटे?
जो सोने नहीं देते ।
बार बार एक ही
नाम पुकारते है |
और ये अंधेरा
जो शोर मचाता है
किसी की याद दिलाता है |
सन्नाटों को ये जुबान
किसने दे दी…
ContinuePosted on November 20, 2011 at 1:47am
ये कैसा व्यापार हुआ,
दुश्मन सारा बाज़ार हुआ |
दिल लेकर दिल दे बैठे तो,
क्यूँ जग में हाहाकार हुआ|
…
Posted on November 12, 2011 at 2:08am — 12 Comments
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Comment Wall (4 comments)
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shri Vikram Shrivastav JI "स्वप्न सुंदरी" को माह की श्रेष्ठ रचना चुने जाने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!
आदरणीय श्री विक्रम श्रीवास्तव जी,
आप की रचना को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना घोषित किया गया है| आप की रचनाएँ बहुत अच्छी है| मेरी तरफ से बधाई स्वीकार करें|
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
आदरणीय श्री विक्रम श्रीवास्तव जी,
सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की रचना "स्वप्न सुंदरी" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) के रूप मे सम्मानित किया गया है, तथा आप की छाया चित्र को ओ बी ओ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया गया है |
इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे,धन्यवाद,
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
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