तुमने कभी सुना है,
रात का शोर?
कभी सुने हैं
चीखते सन्नाटे?
जो सोने नहीं देते ।
बार बार एक ही
नाम पुकारते है |
और ये अंधेरा
जो शोर मचाता है
किसी की याद दिलाता है |
सन्नाटों को ये जुबान
किसने दे दी ?
किसने सिखाया यूं
चीखना चिल्लाना,
रोना बिलखना?
कोई इनसे पूछो,
और ये भी पूछो
के ये मुझे क्यूँ जगाते हैं ?
किसी की याद दिलाते है |
जिन यादों को मैं
भुला आया था |
और वो बातें जो
मैंने सबसे छुपा रखी थी |
दिमाग के किसी कोने मे
दबा रखी थी |
वो बातें ये रात
कैसे जान गयी?
और ये सबको क्यूँ बताती है ?
किसी की याद दिलाती है |
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