For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Vikram Srivastava's Blog (9)

तलाश

चल पड़ा हूँ इक सफ़र पर,

एक अनजानी डगर पर |

मजिल पता है, कि जाना कहाँ है |

पर रास्ता नहीं, वो कहीं खो गया है |

वो मंजिल मैं अब हर डगर ढूँढता हूँ |

कभी तो मिलेगी, अगर ढूँढता हूँ |



जज्बों में हिम्मत, इरादे बड़े हैं |

मगर राह में ऊंचे पर्वत खड़े हैं |

इन्हें पार करना भी मुश्किल बड़ा है |

मगर अब ये बंद भी जिद पे अड़ा है|

इन्हें लांघने का सबब ढूँढता हूँ |

कभी तो मिलेगा अगर ढूँढता हूँ |



किसी कि दुआएं…

Continue

Added by Vikram Srivastava on January 11, 2012 at 2:00am — 1 Comment

"कौन पागल है ?".......

 

क्या वो पागल है, जो बेवजह मुस्कुराता है ?

पागल ही है, तभी सरे राह गुनगुनाता है |

अपनी ही धुन में वो गली गली घूमता है |

राह चलते जानवरों को तो कोई पागल ही चूमता है |

वो राहगीर है, उसका कोई घर बार बही है |…

Continue

Added by Vikram Srivastava on November 29, 2011 at 3:22pm — No Comments

रात का शोर

तुमने कभी सुना है, 

रात का शोर?

कभी सुने हैं 

चीखते सन्नाटे?

जो सोने नहीं देते । 

बार बार एक ही 

नाम पुकारते है |

और ये अंधेरा

जो शोर मचाता है  

किसी की याद दिलाता है |

 

सन्नाटों को ये जुबान 

किसने दे दी…

Continue

Added by Vikram Srivastava on November 20, 2011 at 1:47am — No Comments

इश्क़

 

ये कैसा व्यापार हुआ,

दुश्मन सारा बाज़ार हुआ |

 

दिल लेकर दिल दे बैठे तो,

क्यूँ जग में हाहाकार हुआ|

 …

Continue

Added by Vikram Srivastava on November 12, 2011 at 2:08am — 12 Comments

प्यार

ऐ खुदा तुझे मैं मेरे दोस्तों मे शुमार करता हूँ 

ध्यान से सुन तुझे मैं मेरा राज़दार करता हूँ 

 

मुझको दे जाता है वो शख्स हमेशा ही धोखा 

फिर भी भरोसा मैं उसका बार-बार करता हूँ 

 

देगी…

Continue

Added by Vikram Srivastava on October 17, 2011 at 8:00pm — 2 Comments

स्वप्न सुंदरी

हे प्रभु ! मेरी स्वप्न  सुंदरी 

अब तो यथार्थ बन आ जाये 

उसको पाकर जीवन मे मेरा 

मन हर्षित, पुलकित हो जाए 

 

स्वेत वर्ण और केश स्वर्ण हो,

जो देखे चकरा जाये |

सुंदर, कोमल, मधुर, कर्णप्रिय

बोले तो…

Continue

Added by Vikram Srivastava on October 13, 2011 at 6:00pm — 12 Comments

३ कह मुकरियाँ

(१)

जब आए - तो रस बरसाए

न आए - तो बड़ा सताए

कोई न ऐसा मनभावन 

ऐ सखी साजन?? न सखी सावन ।


(२)

मोरे पास - तो करे मगन

दूजे के संग - देत जलन 

न जग मे कोई वाके जैसा 

ऐ सखी साजन?? न सखी पैसा |

 

(३)

हमरे जीवन कै आधार

वो ही तो सगरा संसार

बड़ा सोच के रचिन रचैया 

ऐ सखी साजन?? न सखी मैया

Added by Vikram Srivastava on September 23, 2011 at 3:00pm — 13 Comments

प्रेम की सीख

बस प्रेम सिखाने आई थी ??

जो प्रेम सिखाकर जाती हो ??

ख्वाबों में आकर नींद के थैले से 

यूँ चैन चुराकर जाती हो...

 

तुमने ही सिखाया था मुझको 

सूनी…

Continue

Added by Vikram Srivastava on September 21, 2011 at 12:28am — 4 Comments

हमसफ़र

बस दो कदम और साथ आओ तो सही
साथ चलने का वादा निभाओ तो सही

तुम ही कहते थे चलोगे साथ मेरे सदा
और कहते थे "कभी आजमाओ तो सही"

इतना बड़ा सफ़र देखो बातों में कट गया
चुप न रहो, गीत कोई सुनाओ तो सही

रूठ कर मुँह न फेरो ऐ मेरे हमसफ़र
हुई है क्या खता ये बताओ तो सही

था ये मुश्किल सफ़र, राह थी बड़ी कठिन
सामने है अब मंज़िल, मुस्कुराओ तो सही

हो जायेगा "विक्रम" आसान हर सफ़र
कोई हाथ हाथों में लेकर कदम बढाओ तो सही

Added by Vikram Srivastava on September 19, 2011 at 9:59pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service