(१)
जब आए - तो रस बरसाए
न आए - तो बड़ा सताए
कोई न ऐसा मनभावन
ऐ सखी साजन?? न सखी सावन ।
(२)
मोरे पास - तो करे मगन
दूजे के संग - देत जलन
न जग मे कोई वाके जैसा
ऐ सखी साजन?? न सखी पैसा |
(३)
हमरे जीवन कै आधार
वो ही तो सगरा संसार
बड़ा सोच के रचिन रचैया
ऐ सखी साजन?? न सखी मैया
Comment
सम्मानीय विद्वतजन,
(३)
हमरे जीवन कै आधार
वो ही तो सगरा संसार
बड़ा सोच के रचिन रचैया
ऐ सखी साजन?? न सखी मैया...
इस मुकरी पर आई टिप्पणियों को पढ़ने के बाद मैं थोड़ा मतिभ्रम हो गया हूँ। क्योंकि मुझे लगता है कि ये मुकरी भी एकदम सार्थक और यथार्थ है।
सुधी पाठकजन, पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि मुकरी में जब कोई बात कही जाती है तो सामनेवाला उसका अर्थ कुछ और बताता है और फिर उसकी कही बात से मुकर कर कहनेवाला अलग शब्द बता देता है। इसमें तुलना की कोई बात नहीं।
यहाँ बात केवल (जो मुझे लगता है) इतनी सी है कि किसी प्रश्न का गलत उत्तर दिया जाए और फिर पूछनेवाला उसका सही उत्तर बता दे।
काफी चिंतन-मनन के बाद मुझे यह मुकरी एकदम यथार्थ लगती है---
क्योंकि साजन को जीवन का आधार कहा जाता है...इसमें कोई अत्युक्ति नहीं।
इसके साथ ही भारतीय संस्कृति में उसे सगरा संसार भी माना गया है। तो इस आधार पर सखी को साजन लगे तो????
मेरा यहाँ यह कहना है कि मुकरी में तुलना नहीं...जो शब्द सुझाए जाते हैं उनमें समाहित अर्थ मुकरी में बताए दोनों शब्दों को काफी हदतक लागू होते हैं।
सादर।।
वाह विक्रम जी आपने भी बहुत सुन्दर कह मुकरियाँ कही
बधाई हो
बहुत खूब भाई विक्रम जी ! तीनों मुकरियां रचने का बहुत अच्छा प्रयास किया है आपने ! बधाई मित्र ! मुकरी से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए कृपया भाई सौरभ जी का यह लिंक देखें ! http://openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:153703
धन्यवाद सर जी ! :-)
वाह वाह बागी जी - बहुत सुन्दर सुझाव दिया है !
विक्रम जी, बड़ी ख़ुशी की बात है कि कह कर मुकरने की कला को भी बड़े भाइयों कि सराहना मिल रही है :-))))) वैसे सच कहूँ तो आप भी मुकरने में माहिर दिख रहे है, तीसरा मुकरी को छोड़ बाकी शेष मुकरियां बहुत ही अच्छी बनी है, बहुत बहुत बधाई आपको, और हां ...यदि मुकरना ही है तो तीसरे को कुछ इस तरह मुकरे तो ..........
हमरे जीवन कै आधार
वो ही तो सगरा संसार
बड़ा सोच के रचिन रचैया
ऐ सखी साजन?? न सखी कन्हैया
//एक प्रश्न और मस्तिष्क मे उठता है की यदि मैया नहीं तो फिर कोई सा भी और रिश्ता साजन के समानान्तर नहीं प्रयोग किया जान चाहिए | तो यदि संबंध के बारे मे कह मुकरी कहनी हो तो किस प्रकार कहेंगे ???//
आप कृपया ओबीओ के आयोजनों में पोस्ट की हुई अभी तक की सभी सफल कह-मुकरियों या मुकरियों का मनोयोग से अध्ययन करें. साथ ही, आदरणीय योगराजभाईसाहब द्वारा सद्यः-प्रकाशित (पोस्ट) पाँचों मुकरियों को ध्यान से देखें, आपको यथोचित उत्तर मिल जायेगा.
धन्यवाद.
आदरणीय सौरभ जी ...शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद !
जी मैया शब्द माँ के लिए ही प्रयुक्त हुआ है और आपके द्वारा इस संबंध मे उठाए गए प्रश्न मुझे भी उचित लगते हैं | मुझे इस विधा के संबंध मे अधिक ज्ञान नहीं है.....यह मेरी पहली 3 कह मुकरियाँ थीं अतः मैं स्वयं को इस संबंध मे कुछ कहने के योग्य नहीं समझता...ओ बी ओ के अन्य सभी सुधि सदस्यों से अनुरोध है की इस विषय पर मेरा मार्गदर्शन करें......
एक प्रश्न और मस्तिष्क मे उठता है की यदि मैया नहीं तो फिर कोई सा भी और रिश्ता साजन के समानान्तर नहीं प्रयोग किया जान चाहिए |
तो यदि संबंध के बारे मे कह मुकरी कहनी हो तो किस प्रकार कहेंगे ???
कृपया मार्गदर्शन करें!!!
भाई विक्रम, सर्वप्रथम तो इन तीनों रचना-प्रयासों के लिये शुभकामनाएँ स्वीकारें.
बहुत सुन्दर प्रयास.
//हमरे जीवन कै आधार
वो ही तो सगरा संसार
बड़ा सोच के रचिन रचैया
ऐ सखी साजन?? न सखी मैया//
यह मैया क्या माँ है? यदि नहीं तो कृपया स्पष्ट करेंगे. यदि हाँ तो मैं इस बंद से बहुत प्रभावित नहीं हुआ.
मेरी समझ के अनुसार, साजन और माँ एक दूसरे के मान्य समानान्तर नहीं हो सकते, न उनका एक दूसरे के प्रति संदर्भ लिया जाना चाहिये.
आशीष जी आप का भी हार्दिक धन्यवाद....प्रेम बनाए रखें॥:)
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