For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिहर जाता हूँ, ऐसा बोलता है - ग़ज़ल : वीनस केशरी

एक नई ग़ज़ल पेश -ए- खिदमत है, मुलाहिजा फरमाए

 


सिहर जाता हूँ, ऐसा बोलता है
वो बस मीठा ही मीठा बोलता है

समय के सुर में बोलेगा वो इक दिन 
अभी तो उसका लहज़ा बोलता है

ये उसकी तिश्नगी * है या तिज़ारत**
वो मुझ जैसे को दरिया बोलता है

उसे खुद ही नहीं मालूम होता
नशे में मुझसे क्या क्या बोलता है

वो  सब कुछ जानता है और फिर भी
अँधेरे को उजाला बोलता है

पुरानी बात है, सब जानते हैं
 नया मुर्गा  ही ज्यादा बोलता है

मेरी माँ आजकल खुश हैं इसी मे
अदब वालों में बेटा बोलता है
-------------------------------------------
*     तिश्नगी   = प्यास
** तिज़ारत = व्यापार

बह्र ए हजज मुसद्दस मह्जूफ़

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar Sharma on March 14, 2013 at 11:25am
मेरी माँ आजकल खुश हैं इसी मे
अदब वालों में बेटा बोलता है
Comment by वीनस केसरी on November 11, 2012 at 10:56pm

डॉ. बाली जी
शुक्रिया 

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 4:16pm

वीनस जी बहुत उम्दा ग़ज़ल। कमाल के शेर निकले हैं आपने ! दाद कबूल करें !

Comment by वीनस केसरी on March 20, 2012 at 10:48pm

राकेश जी, संदीप जी और महिमा जी इस उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद

Comment by MAHIMA SHREE on March 13, 2012 at 4:33pm
वीनस जी नमस्कार...
क्या बात है....
सिहर जाता हूँ, ऐसा बोलता है
वो बस मीठा ही मीठा बोलता है....

बहुत बधाई...सरल सहज गजल के लिए....
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 1, 2012 at 12:32pm

क्या बात है वीनस जी| ख़ूबसूरत भावों की पेशगी| बहुत ख़ूब!!

Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 1, 2012 at 12:15pm

bahut khub veenas ji,

मेरी माँ आजकल खुश हैं इसी मे
अदब वालों में बेटा बोलता है
badhai.
Comment by वीनस केसरी on October 23, 2011 at 1:00am

सौरभ जी, विवेक जी, आशीष जी, अरुण जी दिलबाग जी
ग़ज़ल  को पसंद करने के लिए और उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद

Comment by dilbag virk on October 22, 2011 at 9:07pm

ये उसकी तिश्नगी * है या तिज़ारत**
वो मुझ जैसे को दरिया बोलता है
बहुत खूब

Comment by Abhinav Arun on October 22, 2011 at 4:04pm
 वाह वीनस जी बहुत सादगी से गहरी बातें कहती ग़ज़ल कहने के लिए हार्दिक बधाई !!
दो शेर बहुत सटीक बन पड़े हैं जिनका असर बा - कमाल है ...
पुरानी बात है, सब जानते हैं
 नया मुर्गा  ही ज्यादा बोलता है
दिल से बस निकलती है .. वाह वाह !!
और निम्न शेर ने तो .... क्या कहने इसके ...
मेरी माँ आजकल खुश हैं इसी मे
अदब वालों में बेटा बोलता है
 दिल से निकली दुआ है बेटा दूर तक जाएगा आमीन !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service