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ग़ज़ल - हमें जो अर्थ प्रजातंत्र का बताए हैं - वीनस केशरी

हमें जो अर्थ प्रजातंत्र का बताए हैं
उन्हीं के पुत्र विरासत में मुल्क पाए हैं

वही नसीहतें देते मिले गरीबों को
जो मुल्क बेच के खाए - पिए अघाए हैं

भला- बुरा न समझते हम इतने हैं नादाँ
सही, सही है गलत को गलत बताए हैं

यही किया है हमेशा कि अपने दिल की सुनी
यही हुआ है हमेशा कि चोट खाए हैं

- वीनस केशरी

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Comment by asha pandey ojha on February 16, 2012 at 4:46pm

वही नसीहतें देते मिले गरीबों को
जो मुल्क बेच के खाए - पिए अघाए हैं kya umda sher kha hai lazwab 

Comment by Rash Bihari Ravi on September 7, 2011 at 1:58pm

हमें जो अर्थ प्रजातंत्र का बताए हैं
उन्हीं के पुत्र विरासत में मुल्क पाए हैं

bahut khubsurat wah kya bat hain raj tantr ki thhath ham prajatantr me utha rahe hain  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 7, 2011 at 11:48am

//हमें जो अर्थ प्रजातंत्र का बताए हैं
उन्हीं के पुत्र विरासत में मुल्क पाए हैं//

क्या नज़र और क्या कहन कि ’पर उपदेसे कुसल बहुतेरे’ को बताता ये मतला.

खाए-पिए-अघाए का बहुत ही सुन्दर प्रयोग. बहुत खूब.

ग़ज़ल कुछ और शे’र मांगती है. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 7, 2011 at 10:14am

गरीब जान के हमको ना तुम मिटा देना
तुम्ही ने दर्द दिया है तुम्ही दवा देना,


वीनस भाई यह दो पक्ति फ़िल्म छू मंतर का है, आपकी खुबसूरत ग़ज़ल मैं इसी धुन में पढता चला गया, वाह भाई वाह आनंद आ गया, कहन भी जोरदार है, बधाई स्वीकार करें |

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