For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चंडी रूप धारण किए
आँखों में दहकते शोले लिए
मुख से ज्वालामुखी का लावा उगलती
बीच सड़क में
ना जाने वह किसे और क्यों
लगातार कोसे जा रही थी
सड़क पर आने जाने वाले सभी
उस अग्निकुंड की तपिश से
दामन बचा बचा कर निकल रहे थे
ना जाने क्यों सहसा ही .....
मुझ में साहस का संचार हुआ
मैंने पूछ ही लिया
बहना....,
क्या माजरा है ?
क्यों बीच सड़क में धधक रही हो ?
उसकी ज्वाला भरी आँखों से
गंगा यमुना की धार बह निकली
रुंधे गले से उसका दर्द फूट पड़ा ...
भय्या !!!
एक कलमुंहे की पोल खोल रही हूँ ,
क्या किया उसने ? मेरा सवाल था ..
बोली... अभी सुनाती हूँ
पूरी दास्तान ,
मेरा बेकार पति
हर वक़्त मेरा खून और दारू पीता था ,
हफ्ते में इसकी दो चार रातें
गुज़रती थी थाने में
मैं थाने जाती थी - इसको छुड़ाती थी,
पैसा तो था नहीं ..
बस ....दरोगा की हो जाती थी ,
सिलसिला चलता रहा ये कल तक ,
आज फिर मेरा बेकार पति थाने में बंद है
लेकिन वो दरोगा.......
आज मेरी जगह
मेरी बेटी को मांग रहा है वो कमबख्त,
आज
या तो मैं खुद को मिटा दूंगी
या इसके रक्त से खप्पर भरूँगी,
भले कुछ हो जाए,
इस रक्तबीज को जिंदा नहीं छोडूंगी

Views: 889

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shakur Khan on December 14, 2010 at 6:33pm

bah lajabab raur jabab naikhe guru ji

Comment by Rash Bihari Ravi on December 13, 2010 at 8:28pm

ok

Comment by Neet Giri on December 11, 2010 at 2:13pm

kamal kar diye

Comment by pankaj jha on September 3, 2010 at 2:11pm
guruji kamal ki rachana hai.....

samaaj ke pulisiya sosan ko jis rup me aap ne vyakhan kiya hai wo kabile tarif hai.

bahut khub.
Comment by Shakur Khan on September 2, 2010 at 12:51pm
sundar rachna guru jee
Comment by policestation on September 2, 2010 at 1:32am
BHoot Khub keha hai aapne. Shandar.
Comment by विवेक मिश्र on August 28, 2010 at 1:07pm
नारी यदि पृथ्वी की तरह सहनशील होती है, तो आवश्यकता पड़ने पर साक्षात माँ दुर्गे का अवतार भी ले सकती है. गुरु जी.. आपने समाज में फ़ैली गन्दगी का बड़ा ही सटीक चित्रण किया है. इस सजीव रचना हेतु मेरी शुभकामनायें स्वीकारें.
Comment by Rash Bihari Ravi on August 27, 2010 at 2:58pm
dhanyabad nilam ji, ganesh ji,ashish bhai , preetam babu,renu ji awam yograj bhaiya aap logo ko babut bahut dhanyabad ijajt afjai ke liye,
Comment by Neelam Upadhyaya on August 27, 2010 at 10:07am
Kya baat hai ! Ravi ji, bahut hi badhiya chitran kiya hai aapne. Kuchh bhi kah sakne ki sthiti mein nahi hoo. Rachna ke liye badhayee swikar kare.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 26, 2010 at 9:27am
बहुत खूब गुरु जी, बिलकुल यथार्थ बात है, एक औरत सब कुछ सह सकती है पर अपने बच्चो के
कष्ट को नही सह सकती है, और जब औरत चंडी रूप धारण करती है तो बड़े से बड़े चट्टान को भी रास्ता देना ही पड़ता है, अच्छी रचना हेतु बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ, मेदानी जी, कृपया देखेंकि आपके मतल'अ में स्वर ' उका' की क़ैद हो गयी है, अत:…"
34 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में कुछ दोष आदरणीय अजय गुप्ता जी नें अपनी टिप्पणी में बताये। उन्हे ठीक कर ग़ज़ल पुन: पोस्ट कर…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश नूर जी, आपकी ग़ज़ल का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूँ। यह ग़ज़ल भी प्रशंसनीय है किंतु दूसरे…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी, पोस्ट पर आने और सुझाव देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। बशर शब्द का प्रयोग…"
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्ते ऋचा जी, अच्छी ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई। अच्छे भाव और शब्दों से सजे अशआर हैं। पर यह भी है कि…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। बधाई आपको  अच्छे मतले से ग़ज़ल की शुरुआत के लिए…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रास्ता  घर  का  दूसरा  तो  नहीं  जीना मरना अलग हुआ तो…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"2122 1212 22 दिल को पत्थर बना दिया तो नहीं  वो किसी याद का किला तो नहीं 1 कुछ नशा रात मुझपे…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल अंत आतंक का हुआ तो नहींखून बहना अभी रुका तो नहीं आग फैली गली गली लेकिन सिर फिरा कोई भी नपा तो…"
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार नीलेश भाई, एक शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बधाई। कुछ शेर बहुत हसीन और दमदार हुए…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार जयहिंद रायपुरी जी, ग़ज़ल पर अच्छा प्रयास हुआ है। //ज़ेह्न कुछ और कहता और ही दिलकोई अंदर मेरे…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ज़िन्दगी जी के कुछ मिला तो नहीं मौत आगे का रास्ता तो नहीं. . मेरे अन्दर ही वो बसा तो नहीं मैंने…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service