For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यंग्य - महंगाई की चिता

हम अधिकतर कहते-सुनते रहते हैं कि चिंता व चिता में महज एक बिंदु का फर्क है। देश की करोड़ों गरीब जनता, महंगाई की आग में जल रही है और उन्हें चिंता खाई जा रही है। वे इसी चिंता में दुबले हुए जा रहे हैं। महंगाई के कारण ही कुपोषण ने भी उन्हें घेर लिया है। जैसे वे गरीबी से जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं, वैसे ही महंगाई के कारण गरीब, हालात से लड़ रहे हैं। महंगाई की चिंता अब उनकी ‘चिता’ बनने लगी है। वैसे मरने के बाद ही हर किसी को चिता में लेटना पड़ता है और जीवन से रूखसत होना पड़ता है। महंगाई ने इस बात को धता बता दिया है और लोगों को जीते-जी मरने के लिए मजबूर हैं।
‘महंगाई की चिता’ में ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब गरीबों को लेटना नहीं पड़ता। गरीबी की मार झेल रहे गरीब, बरसों से ऐसे ही मुश्किल में थे, उपर से महंगाई की मार से जीवन-मरण का ले-आउट तैयार हो गया है। गरीब पहले गरीबी से त्रस्त हुआ करते थे, अब उनका एक और दुश्मन पैदा हो गई है, वह है महंगाई डायन। कहा जाता है कि डायन भी एक घर छोड़कर हाथ आजमाती है, लेकिन यहां तो उल्टा ही हो रहा है। महंगाई डायन की मार से कोई घर अछूता नहीं है। हर कहीं इसका साया मंडरा रहा है।
महंगाई ने जैसे सरकार को जकड़ ही रखी है और वह उसकी जद से बाहर ही नहीं आ पा रही है। सरकार की करनी को जनता भोग रही है और जनता को सरकार सात नाच नचा रही है, कुछ वैसा ही, जैसे महंगाई, सरकार की नाक में दम कर उसके माथे पर नाचते हुए इतराती है। महंगाई बढ़ते ही सरकारी बेचारी बन जाती है और महंगाई डायन। इस बीच सबसे ज्यादा कोई चिंतित होता है तो वह देश की करोड़ों गरीब भूखे-नंगे लोग। जिन्हें दो जून की रोटी के लिए ‘योजना आयोग’ के मोंटेक बाबू की ओर टकटकी लगाए बैठने पड़ते हैं। वे जिन्हें गरीब कह दें, वह गरीब। वे गरीबों को रातों-रात कागजों में अमीर बनाने की पूरी क्षमता रखते हैं, इसलिए गरीबों का गरीबी से अब 36 का नहीं, बल्कि 26 व 32 का आंकड़ा हो गया है।
जब भी गरीबी का दुखड़ा रोते हुए गरीब लाचारी दिखाता है, इस बीच महंगाई आ धमकती है। सरकार को हर समय धमकाती ही रहती है, जनता के जख्मों को कुरेदने का भी काम करती है। जब भी आती है, कयामत बनकर आती है। गरीबी के झटके सहने, देश की जनता आदी हो चुकी है, लेकिन महंगाई के करंट सहने की ताकत अब उनमें बाकी नहीं है। पिछले एक दशक से महंगाई की मार से जनता पूरी तरह पस्त हो चुकी है। जब सरकार की सारी ताकत फेल हो जा रही है, हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री नतमस्तक नजर आ रहे हैं, ऐसे हालात में अनपढ़ व गरीब जनता का क्या मजाल कि वे महंगाई जैसी डायन के आगे ठहर सकेगी ? यही कारण है कि ‘महंगाई की चिता’ में करोड़ों जनता घुट-घुटकर रोज मर रही हैं और जब उफ कहने की बारी आती है तो जुबान को ‘महंगाई की चिंता’ रोक लेती है।
महंगाई के कारण जनता न जाने हर दिन कितनी मौत मरती है, बाजार जाते ही वस्तुओं के दाम सुनते ही हर समय उन्हें नरक के दर्शन होते हैं। एकाएक ऐसा नजारा हो जाता है, जैसे केवल हाड़-मांस ही खड़ा हो। जनता का खून महंगाई इस तरह चूस रही है, जैसे सत्ता के मद चूर कारिंदे, गरीबों का खून बरसों से चूसते आ रहे हैं। अब बेचारी जनता क्या कर सकती है, बस ‘महंगाई की चिता’ में लेटी है और उसकी आग उसे न चाहने पर भी जलाए जा रही है। गरीबों का शरीर भले ही नहीं जल रहा है, लेकिन कलेजे रोज अनगिनत बार छलनी होते हैं। क्या करें, जब किस्मत में ही महंगाई के कारण जिंदा मरना लिखा है। 

राजकुमार साहू
लेखक व्यंग्य लिखते हैं।

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 074897-57134, 098934-94714, 099079-87088

Views: 330

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Feb 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Feb 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Feb 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service