For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाबासाहेब डा.अम्बेडकर


बाबासाहेब डा.अम्बेडकर ( जन्म दिवस 14 अप्रैल- निवार्ण दिवस 6 दिसंबर)
प्रभात कुमार रॉय

बाबासाहेब डा.अम्बेडकर एक अत्यंत प्रखर देशभक्त और राष्ट्रवादी थे। भारत की राजनीतिक एकता को मूर्तरुप देने का जैसा शानदार कार्य सरदार पटेल ने अंजाम दिया, उसी कोटि का अप्रतिम कार्य राष्ट्र की सामाजिक एकता के लिए डा.अम्बेडकर द्वारा किया गया। अपनी चेतना के उदय से अपनी जिंदगी के आखिरी पल तक इंसान-इंसान के मध्य भाईचारे का सूत्रपात करने और समानता की लहर प्रवाहित करने में डा.अम्बेडकर जुटे रहे। प्रजातंत्र और समानता उनके लिए पर्यायवाची शब्द कदाचित नहीं रहे। उनके अनुसार पूँजीवादी व्यवस्था के तहत मताधिकार का अधिकार उत्पीड़कों में से एक को चुन लेने का अधिकार है। वास्तविक आवश्यकता एक ऐसे समाज की संरचना करने की है जिसके अंतर्गत शोषक और शोषित, उत्पीड़क और उत्पीड़ित का फर्क स्वतः समाप्त हो जाए। ऐसे समतामयी समाज में प्रजातंत्र अपने वास्तविक रंग-रुप में प्रकट होगा। डा.अम्बेडकर ने व्यक्ति को समाज की वास्तविक इकाई माना और किसी धर्म-मजहब अथवा जाति को समाज की इकाई तसलीम नहीं किया।

राष्ट्रवाद की उनकी अवधारणा में किसी तरह की संकीर्णता के लिए कदाचित कोई स्थान नहीं रहा। बाबासाहेब डा.अम्बेडकर ने कहा था कि मैं ब्राहम्णवाद का कट्टर विरोधी हूँ। किंतु मैं व्यक्तिगत तौर पर किसी ब्राहम्ण का विरोधी बिलकुल नहीं हूँ। मानवता के समर्थक अनेक ब्राहम्ण मेरे अच्छे मित्र रहे। मेरी मान्यता है कि इंसान अपने गुणों ,ज्ञान, चिंतन-मनन और कर्मों से बड़ा अथवा छोटा होता है, न कि अपने कुल, जाति और जन्म के कारण से। डा.अम्बेडकर ने शिक्षित बनो का प्रबल उदघोष किया और सामाजिक एवं आर्थिक दासता के बरखिलाफ जोरदार जंग करने की पैरोकारी की। बाबासाहेब अम्बेडकर का नाम लेकर जातिवादी राजनीति करने कथित अम्बेडकरवादी, वस्तुतः डा.अम्बेडकर के विचारों के साथ विश्वासघात करने में जुटे हुए हैं। जो तत्व दलित राजनीति को संकीर्ण जातिवाद में उलझा देने पर आमादा रहे हैं, उनका बाबासाहेब अम्बेडकर के विचारों से कोई वास्ता नहीं है।

बाबासाहेब डा.अम्बेडकर ने हिंदू धर्म के अंदर विद्यमान जातिवाद का और मुस्लिम सांप्रदायिकता का जितना प्रबल विरोध किया, वैसै विरोध जंग ए आजादी के बहुत ही कम नेताओं ने किया। डा.अम्बेडकर राष्ट्रीय काँग्रेस की विचारधारा और कार्यशैली से सदैव असहमत बने रहे। उनके अनुसार काँग्रेस द्वारा बहुत ही कम कार्य अछूतों के लिए किया। काँग्रेस ने अकारण ही राष्ट्र को खिलाफत आंदोलन में झोंक दिया गया। डा.अम्बेडकर का मानना था कि काँग्रेस के सांप्रदायिक तुष्टीकरण की नीति के कारण देश के बहुत नुकसान हुआ। डा.अम्बेडकर के अनुसार अंततोगत्वा देश का सांप्रदायिक आधार पर हुआ विभाजन वस्तुतः काँग्रेस की सांप्रदायिक तुष्टीकरण की कुनीति का तार्किक परिणाम था। थॉटस ऑन पाकिस्तान शीर्षक से एक पुस्तक डा.अम्बेडकर द्वारा 1945 में लिखी गई। इस पुस्तक में पुस्तक डा.अम्बेडकर ने मुस्लिम सांप्रदायिकता अत्यंत करारी चोट की। महात्मी गाँधी द्वारा स्वयं इस पुस्तक को एक श्रेष्ठ पुस्तक करार दिया गया। यह पुस्तक सामायिक होते हुए भी एक सार्वभौमिक महत्व की मानी गई।

डा.अम्बेडकर ने हिंदू जातिवादी व्यवस्था को ब्राहम्णवाद की गहन विकृति करार दिया। डा.अम्बेडकर ने कहा कि हमारे लिए रोटी–पानी का सवाल ईश्वर की आराधना से कहीं अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न है। हम हिंदू धर्म में मानवीय समानता के पक्षधर है और चतुर्वणीय व्यवस्था को समूल नष्ट करना चाहते हैं। इस सबके बावजूद राष्ट्र की मूल सांस्कृतिक धारा से कदाचित पृथक नहीं होना चाहते। अपने जीवन के अंतिम काल में डा.अम्बेडकर ने हिंदू धर्म का परित्याग करके बौद्ध धर्म को अंगीकार किया तो उन्होने कहा था कि मैं तथागत को उनकी धरा पर पुनः स्थापित कर रहा हूं। घोर अपमान बर्दाश्त करते हुए भी डा.अम्बेडकर जीवन पर्यन्त हिंदू धर्म-संस्कृति में ही बने रहे और इसके अंदर सुधार के लिए प्रयत्नशील रहे।

मानवीय गरिमा-गौरव और आत्म सम्मान का प्रश्न डा.अम्बेडकर के लिए सर्वोपरि प्रश्न रहा। उन्होने कहा कि हमारा संघर्ष केवल सत्ता और धन-दौलत हासिल करने के लिए नहीं है, वरन् मानवीय गुलामी को धवस्त करके संपूर्ण आज़ादी प्राप्त करने के लिए है। भारत के भविष्य को लेकर डा.अम्बेडकर सदैव चिंतित बने रहे। वह प्रयासरत रहे कि भारत विश्व पटल पर एकता, अखंडता और समता का प्रतीक बनकर उभरे। उन्होने बारम्बार कहा कि भारत की राजनीतिक स्वतंत्रता और प्रजातंत्र की हिफ़ाजत करने के लिए अति-आवश्यक है कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में यथाशीघ्र समता और बराबरी को समुचित तौर पर समाहित किया जाए। भारत का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि डा.अम्बेडकर के सपनों के भारत का निर्माण नहीं हो पाया। डा.अम्बेडकर की विरासत के दावेदारों को न तो भारत की एकता और अखंडता की कोई फिक्र है न ही सामाजिक- आर्थिक समानता ही उनके ऐजेंडे में है। कथित अम्बेडकरवादी जातिय समीकरणों को भुनाकर येन-केन प्रकारेण सत्ता हासिल करने में जुटे रहते हैं। डा.अम्बेडकर की शानदार वैचारिक विरासत की तभी हिफाज़त हो सकती है जबकि अम्बेडकरवादी भारतीय समाज के सबसे बदनुमा दाग़ जातिवाद को समूल नष्ट करने के संकल्प को कदाचित विस्मृत न करके भारतीय समाज को समतावादी बनाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाए। डा.अम्बेडकर ने कहा था कि दलितों तुम्हें अपनी दासता स्वयं ही समाप्त करनी है। दासता के खात्मे के लिए दलितों को किसी ईश्वरीय शक्ति अथवा किसी महामानव पर निर्भर नहीं रहना है। आगामी दौर में दलित आंदोलन को नई ऐतिहासिक उचाईयों को छूना है और बाबासाहेब डा.अम्बेडकर के सपनों के भारत का निर्माण करना है, जिसमें जाँत-पांत, ऊंच-नीच, गरीबी-अमीरी के फर्क पूर्णतः समाप्त हो जाएगें। सांप्रदायिकता और धार्मिक-मजहबी संकीर्णता से पूरी तरह मुक्त शक्तिशाली भारत का निर्माण संभव हो सकेगा।

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on December 7, 2011 at 7:32pm

अभिवादन उस महापुरुष का

देश  था जिसका ख्वाब.
अखिल-विश्व में "भीम राव" है,
वो   "..बाबा साहाब "........

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2011 at 1:52pm

इस संतुलित, तथ्यपरक तथा गहन किन्तु संक्षिप्त आलेख के लिये आपको कोटिशः धन्यवाद है, आदरणीय प्रभात कुमार राय जी. 

अम्बेडकर को समझने के लिये उस व्यवस्था को समझना होगा जिसने उस व्यक्ति को शाब्दिक रूप से मुखर, विचारों से प्रखर तथा विश्वास से अदम्य बनाया. इस आलेख की कई-कई पंक्तियाँ जानकारी की दिशा सूचक की तरह हैं.  

आपके इस आलेख के माध्यम से भारत के इस सपूत को सादर नमन. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service