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आदरणीय सौरभ जी और सतीश जी इस प्यार और हौसला अफ़जाई के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
जिस ज़मीन से उपरोक्त बात कही गयी है, उसके लिये पहली बधाई.
सीईआरएन में धमाधम भिड़ते हैं शीशे के परमाणु
खोज लिया जाता है
प्रकाश की गति से ज्यादा तेज चलने वाला न्युट्रिनो
पकड़ा जाने ही वाला है हिग्स बोसॉन
लोगों का गुस्सा उतरने लगा है सड़कों पर
संसद का एक सदन पार चुका है लोकपाल
आत्म-निर्णय से उपजी क्रिया पद्धति और झोंक में किये गये मनमानेपन के बीच के अंतर को समझना बहुत ही आवश्यक है. इन्हीं विन्दुओं की समझ वस्तुतः देवत्त्व और दानवी प्रक्रिया की समझ बढ़ाती है. कवि ने देवत्त्व की आड़ में आरोपित हो रहे काइयाँपन को परखे जाने की सोच पर जोर दिया है. हिग्स बोसोन के माध्यम से अत्यंत ही अनूठे ढंग से प्रकाश डालने के लिये भाई धर्मेन्द्रजी आपको शत्-शत् बधाई. ..
हार्दिक बधाई !!!
“ऐसा कोई नियम नहीं बन सकता जो अमीरों और गरीबों पर एक साथ लागू हो सके हमारे नियम अलग हैं और अलग ही रहेंगे”
इस रचना के लिए बहुत - बहुत बधाई मित्रवर ................ सच कहें तो आज ऐसी ही सोच की जरुरत है.
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