For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन इक खुली किताब है . .

कुछ पन्ने इसके पलट गये

कुछ को न हाथ लगाया है

कुछ याद पुरानी बाकी है

कुछ में इतिहास समाया है


कुछ में वो बीता बचपन है

जिनकी इक अमिट निशानी है

कुछ में है लिखा हुआ छुटपन

कुछ में अनकही कहानी है


कुछ पन्ने बीती रातों से

कुछ ख्वाबों से कुछ बातों से

कुछ यूँ ही छपते चले गए

हर इक छोटी मुलाकातों से


कुछ में हैं सपने भरे हुए

कुछ में नासूर पुराने हैं

कुछ अपनो के भी पन्ने हैं

कुछ पन्ने भी बेगाने हैं


संघर्ष छपा कुछ पन्नो में

कुछ काले हैं बादल से हैं

कुछ कोरे पन्ने उड़ते हैं

कुछ पन्ने भी पागल से हैं


कुछ बांट जोहते कल के हैं

आते जाते हर पल के हैं

कुछ आशाओं से छपे हुए

आने वाले मंगल के हैं


कुछ भीग गए हैं आँसू से

कुछ हँसी छिपाए रखें हैं

कुछ में है धूप सुनहरी सी

सब रंग समाये रखें हैं


इन पन्नों में ही सिमट गया

अपना हर एक हिसाब है

जीवन इक खुली किताब है

जीवन इक खुली किताब है . . . . .



Views: 394

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on January 18, 2012 at 12:48pm
प्यारे अमित जी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ, आप को बहुत-बहुत बधाई इस सुन्दर कविता के लिए............... !!!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 17, 2012 at 4:01pm

अमितभाई, आपकी कविता संयत और भावप्रधान है. आपका यह प्रयास भाया.  हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ.

रचना का प्रवाह कहीं-कहीं अँटकता हुआ है लेकिन प्रारम्भ में ऐसा होता है.

 

आपकी एक पंक्ति है - हर इक छोटी मुलाकातों से

एक सुझाव : ’हर’ या ’हर एक’ या ’हरेक’ या ’प्रत्येक’ के साथ संज्ञाओं का वचन बहुवचन नहीं होता है.  इस हिसाब से पंक्ति ”हर इक छोटी मुलाकात से” होगी जोकि तुकांत निबाह नहीं सकती. अतः आपको पुनर्प्रयास करना होगा. 

दूसरे, रचना या प्रविष्टि में अक्षरी या हिज्जे (spellings) पर अवश्य संवेदनशील रहें.

 

विश्वास है, आपकी अगली रचना हर तरह से प्रभावशाली होगी.  .. सधन्यवाद.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 17, 2012 at 3:35pm

बहुत सुन्दर कविता कही है भाई अमित पाण्डेय जी, बधाई स्वीकारें. यह रचना हमारे मंच के सन्देश और उद्देश्य से काफी मेल खाती है जिसके लिए आपको एक्स्ट्रा बधाई.

Comment by K.N.RAI on January 17, 2012 at 10:40am

bahut hi umda..

Comment by Shanno Aggarwal on January 17, 2012 at 2:41am

अमित जी, बहुत सुंदर रचना....''जीवन एक खुली किताब है''. आपको बहुत बधाई.

'' कुछ भीग गएँ हैं आँसू से

कुछ हँसी छिपाए रखें हैं

कुछ में है धुप सुनहरी सी

सब रंग समाये रखें हैं''

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
4 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
19 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
22 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service