For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चमत्कार बेच के...

राह में खड़े हो यूँ घर-बार बेच के,

अपना बसा-बसाया ये संसार बेच के.
किसने तुम्हे सताया के करते हो ख़ुदकुशी,
लड़  रहे हो म्यान से,  तलवार बेच के!
बख्शेंगी तुम्हे क्यों ये समंदर की मछलियाँ!
खे   रहे  हो   नाव  यूँ  पतवार   बेच   के.
कैसी रवायतें   हैं ये  कैसा   समाज है?
दुल्हन खड़ी है हाट  में सिंगार बेच के!!
आवाज़ तेरी गूँज के रह जाएगी यहाँ,
तू फिरेगा यूँ तेरे अधिकार बेच के.
दरबारियों ने उसको इस कदर  डुबो  दिया,
कर्जे चूका रहा है वो दरबार बेच के.!!
मतलब समाज-सेवा के बदलें है इस तरह,
पाते हैं   मानदेय वो   प्रतिकार बेच के .
कैसे करेंगे पूरा वो  सपना सुराज का!
बातें अमन की करते है हथियार बेच के.
हमने हवाले कर दिया वतन को जिनके हाथ,
खा गए वो   देश   को   गद्दार बेच के.
फैली है कैसी भुखमरी शायर के गाँव में!
भर रहा है  पेट वो    अशआर    बेच के. 
चलन ये ज़माने का है 'अविनाश' क्या करे?
बन जाओ कोई स्वामी चमत्कार बेच के...
 
अविनाश बागडे.

Views: 337

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on March 1, 2012 at 10:27am

वाह वाह !

क्या बात है !

सभी शे'र एक से बढ़कर एक !

Comment by AVINASH S BAGDE on March 1, 2012 at 10:00am

राकेश  भाई,

हार्दिक स्वागत
इस ओ.बी.ओ. परिवार में.
शुक्रिया मेरी ग़ज़ल पर अपने पसंदगी की मुहर लगाने के लिये.
Comment by राकेश त्रिपाठी 'बस्तीवी' on March 1, 2012 at 9:39am
आदरणीय अविनाश जी सादर, बहुत सुन्दर पंक्तियाँ. 
किसने तुम्हे सताया के करते हो ख़ुदकुशी,
लड़  रहे हो म्यान से,  तलवार बेच के!
हार्दिक बधाई. 
Comment by Pradeep Bahuguna Darpan on February 15, 2012 at 12:02pm
Bahut hi sundar aur prabhavi rachna .......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service